राघव मिश्रा/लालू के जंगलराज को पटखनी लगाकर अपनी सुशासन की शंखनाद करने वाली बिहार सरकार खुद से सुशासन की दंभ भले ही भर ले लेकिन इसी तथाकथित सुशासन सरकार की महिषासुर रूपी पुलिस ने आशुतोष पाठक को पीटकर मार डाला ,आशुतोष का गुनाह सिर्फ यह था कि दुर्गापूजा की अष्टमी के दिन अपने परिवार को माता के मंदिर से दर्शन करवाकर वापस लौटने के क्रम में एक बेरियर पर पुलिस से चंद सवाल कर दिया ।
इसी तथाकथित शुशासन बाबू की सरकार की पुलिस ने आशुतोष को उसके बच्चे और पत्नी के सामने इतनी बेहरहमी से पीटा जिसे देख कर किसी का भी कलेजा पसीज जाय ।
क्या है पूरा मामला :
गोड्डा सिनेमा हॉल चौक का रहने वाला आशुतोष पाठक उर्फ (अप्पू पाठक) अपने पैतृक निवास भागलपुर जिले बिहपुर थाना क्षेत्र के मड़वा गांव दुर्गा पूजा मनाने अपने परिवार के साथ गया था ।
अष्टमी के पूजा पर वो अपने परिवार और बच्ची के साथ दुर्गा प्रतिमा देखकर वापस अपने गांव जा रहा था ,रास्ते मे महेश स्थान के पास पुलिस ने गाड़ी को रोक दिया फिर आशुतोष और पुलिस में कुछ कहा सुनी हो गई, प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो आशुतोष को पुलिस ने गाली गलौज भी किया और और मारपीट शुरू कर दी,पुलिस से आशुतोष लगातार गिड़गिड़ा रहा था लेकिन जब रक्षक ही भक्षक बनकर बैठे हों तो क्या कहने ,पुलिस ने आशुतोष की एक नही सुनी ,पुलिस ने आशुतोष को पीटते हुए अपनी गाड़ी में बिठाकर थाना ले गई जहां पुलिस ने उसे लॉकअप में बंद करके बर्बरता से उसकी पिटाई की जिसके बाद ईलाज के क्रम में उसकी मौत हो गई । मृतक आशुतोष पाठक पेशे से इंजीनियर था, पिछले दिनों टाइफाइड जैसी बीमारी से निजात पाकर अपने सेहत पर ध्यान दे रहा था ,बीमारी से वो काफी कमजोर भी हो गया था लेकिन ,हिम्मत और हौसले से भरे आशुतोष अभी अपनी बीमारी से उबरा ही था की पुलिस ने एक मामूली सी गलती पर उसकी जान ले ली ।
सुशासन बाबू का जंगल राज पार्ट 2 :
इसे सुशासन बाबू का जंगल राज पार्ट 2 कहने में जरा सी अतिशयोक्ति नहीं होगी ,जिस सरकार ने अपनी छवि शुशासन बाबू के रूप में चमकाई हो वो अपने ही राजनीति में जंगलराज को मात देकर अपनी सुशासन की फसल को लहलहया हो ।
आज उसी सुशासन की भयमुक्त पुलिस के हाथों एक युवक की मौत हो गई ।
क्या शुशांत सिंह राजपूत की तरह आशुतोष के लिए इंसाफ नही ?
जिस बिहार ने चुनाव से ठीक पहले सिने स्टार शुशांत सिंह राजपूत के मौत के मामले को हाथों हाथ लिया और सीबीआई की सिफारिश कर दी ,यही नही इसी बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने सुशांत सिंह मामले में अपनी व्यक्तिगत दिलचस्पी दिखाई थी टीआरपी का हिस्सा बने थे क्या आज उनका कलेजा नही पसीजा ?
क्या बिहार के इस बेटे के लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ने वाला कोई नही है ।क्या आशुतोष के लिए सीबीआई जांच की मांग उठाने वाले नही बचे हैं ? कहाँ गए पूर्व डीजीपी साहब ? कहाँ गई Z+ सुरक्षा लेकर बिहार पुलिस की तरफदारी में घूम रही कंगना रनौत? क्या आशुतोष के साथ हुई पुलिस की इस बर्बरता पर किसी की आवाज नही निकलेगी ।
जिस बिहार को जंगलराज का तमगा देकर विकास रूपी सुशासन का झुनझुना पहनकर खुद ढिंढोरा पीटकर कह रहे थे कि बिहार को जंगलराज से बचाओ ,आज उसी तथाकथित सुशासन रूपी सरकार पर विपक्ष भी चुप्पी साधे बैठा है आज क्यों नही झारखण्ड के गोड्डा और बिहार के इस बेटे को न्याय दिलाने के लिए किसी की आवाज बुलंद हो पा रही है ? ये पूछता है गोड्डा ।
युवाओं ने पुलिस की इस बर्बरता पर फांसी की उठाई मांग ।
गोड्डा के युवाओं में बिहार पुलिस की इस बर्बरता से आक्रोश है युवा फेसबुक ट्विटर पर लगातार आशुतोष के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं #JusticeForAshutosh की मांग तेजी से उठ रही है ।
सांसद ने भी युवाओं के द्वारा उठाई मांगों पर साथ दिया है ,गोड्डा सांसद निशीकांत दुबे ने अपने प्रोफाइल से लिखा है कि न्याय मिलेगा पुलिस को होगी फांसी,उन्होंने भी जस्टिस फ़ॉर आशुतोष की मांग को तेज किया है ।
आखिर कबतक चुप रहेगी सरकार और पुलिस :
इस घटना के बाद जिसप्रकार से मामले को दबाया जा रहा है उससे क्या साबित करना चाह रही है बिहार पुलिस ,क्या बिहार पुलिस को इस बात जरा भी यादाश्त नही की मुम्बई में पुलिसिया जांच में सहयोग न होने देने पर किस तरह से किरकिरी का सामना करना पड़ा था ?
जनता में आक्रोश :
बिहार पुलिस की इस बेरहम रवैये पर जनता में अक्रोश है बिहपुर थाना क्षेत्र में भी लोगों ने घँटों सड़क जाम कर इंसाफ की मांग की है ।
परिवार ने दर्ज कराया हत्या का मामला :
आशुतोष पाठक की पुलिस द्वारा बर्बरता पूर्वक पिटाई पर परिवार वालों ने हत्या का मामला दर्ज करवाया है ,मृतक के चाचा ने पुलिस पर हत्या का आरोप लगाते हुए कहा है कि मेरा भतीजा आशुतोष पाठक अपनी पत्नी स्नेहा और अपनी 2 वर्षीय बच्ची को लेकर दुर्गा स्थान से वापस अपने गांव मड़वा लौट रहा था समय करीब 3 बज रहे थे ,जहां रास्ते मे महेश स्थान चौंक NH के पास पहुंचे ही थे कि वहां उपस्थित पुलिस (जो सभी बिहपुर थाना में पदस्थापित है )ने मेरे भतीजे को रोककर गाली गलौज करने लगा एवं विरोध करने पर मेरे भतीजे को बिहपुर थाना अध्यक्ष रणजीत कुमार मंडल एवं थाना गाड़ी में प्रतिनियुक्त प्राइवेट गाड़ी ड्राइवर साथ मे सभी पुलिस मौजूद पुलिस कर्मी ने हथियार के कुंदों एवं लाठी से मेरे भतीजे को मारते हुए थाना ले गया इस पूरे घटना क्रम को मृतक आशुतोष पाठक के चचेरे भाई ने अपनी आंखों से देखा और मारने वालों को पहचाना है ।
परिवार वालों ने अपने मुकदमे में कहा है कि पुलिस मेरे भतीजे को लेकर थाना चली गई जहां उसे हाजत में बंद कर के बुरी तरह पिटाई की है उसके कपड़े उतार कर उसकी बेहरहमी से पिटाई की गई है।
हाजत के अंदर उसे इतना मारा गया कि उसके सिर से और नाक से रक्त स्राव होने लगा था ,बावजूद मेरे एवं परिजन और मृतक की पत्नी के द्वारा देखने के लिए पुलिस के पास गिड़गिड़ाती रही लेकिन न देखने दिया गया न मिलने ।
मृतक के चाचा ने कहा है कि जब मेरा भतीजा मरणासन स्थिति में आ गया तब हाजत से निकालकर सौंप दिया गया जिसे इलाज करवाने के दौरान उसकी मृत्यु हो गई ।
इसके साक्ष्य मृतक के शव पर गहरे जख्म और पैरों और छाती पर बंदूक की नोक की मार के दाग साफ गवाही दे रही है ।मृतक के शरीर मे सिर से पांव तक पुलिस की बर्बरता की निशानी है ।
बचपन से ही दोस्तों में चेहता था आशुतोष :
गोड्डा में पले बढ़े आशुतोष बचपन से ही होनहार था ,पढाई के अलावे खेल में भी काफी रुचि रखता था ,एक समय जिला क्रिकेट में अपनी तेज बॉलर के रूप में भी अपनी छाप उसने छोड़ रखा है ।
खेल के मैदानों से लेकर अपनी पढ़ाई में भी अपनी अलग पहचान बरकरार रखी थी उसने ,आशुतोष पेशे से इंजीनियर था ,आशुतोष दो भाई एक बहन है ,उसका नानी घर गोड्डा जिले के सैदापुर गांव में है,मृतक आशुतोष गोड्डा में ही पला बढ़ा था, कुछ वर्ष पहले पेशे से प्रोफेसर पिताजी अजय कुमार पाठक के देहांत के बाद पूरे परिवार का भार इन दोनों भाइयों के कंधों पर आ गया था ,जिसे दोनों भाइयों ने मिलकर बखूबी निभा रहा था लेकिन किसे पता था कि इस तरह अपने परिवार और दोस्तों संजोने वाले को लोकतंत्र के रक्षक के द्वारा ही भक्षण कर दिया जाएगा ।
मृतक के भाई ने न्याय की लगाई गुहार :
मृतक के भाई सूरज पाठक ने पुलिस के द्वारा अपने भाई की निर्मम हत्या पर फांसी की सजा की मांग की है ,उसने कहा है कि मेरे भाई के लिए भी लोग न्याय की गुहार लगाएं जिसे बिहार पुलिस ने मार डाला है ।
बिहार की शुशासन सरकार में अपनी नोकरशाही बजा रही पुलिस अष्ठमी को ही महिषासुर का रूप ले लेगी ये तो साक्षात उस दुर्गा को भी नही पता होगा जिसके दर्शन कर सपरिवार वापस आ रहा था ।
ऐसे में आशुतोष के इस निर्मम हत्या पर गोड्डा चिल्ला चिल्ला कर पूछ रही है कि कब होगा आशुतोष का न्याय ? पूछता है गोड्डा
क्या सुशासन बाबू इस मामले पर तोड़ेंगे चुप्पी ? पूछता है गोड्डा ।
क्या आशुतोष का गुनाह इतना बड़ा था कि उसे पीटपीट कर मार दिया ? #पूछताहैगोड्डा
क्या कानून के रखवाले अब रक्षा करने की जगह सीधे न्यायपालिका बनने की राह पर है? पूछता है गोड्डा ।
क्या चुनाव के बीच इस निर्मम हत्या पर कुछ बोलेंगे सरकार ?
गोड्डा चीख चीख कर आशुतोष के लिए न्याय की मांग कर रही है दोषी पुलिस कर्मियों को फांसी मिले इसकी मांग उठाई जा रही है ।
अगर पुलिस अपनी चेहरे को इस रूप में रखेगी तो निश्चित ही आमजनों के दिमाग से कानून का भय खत्म हो जाएगा और जनता के मन से न्याय के प्रति विश्वास और काननू के प्रति सम्मान खत्म हो जाएगा ।