#वर्तमान_परिदृश्य_और_राजनीतिक_विसात
पिछले कुछ दिनों से गोड्डा में राजनीति में जबरदस्त गर्माहट आ गयी है. शुरुआत 20 सूत्री की बैठक के बाद सांसद के बयान से फिजां बदली. सांसद के निशाने पर प्रभारी मंत्री जी रहे तो दो दिन के बाद ही “फेसबुक प्रकरण” हो गया. भीतरखाने क्या हुआ ये तो अभी पूरी तरह साफ़ नहीं हुआ लेकिन वातावरण ऐसा तैयार हो गया है की एक ही पार्टी के सांसद और विधायक ने मतभेद हो गया जबकि इसे भरसक छुपाने का प्रयास भी किया गया.
जनप्रतिनिधि अमित मण्डल को गोड्डा के पूर्व एस पी हरि लाल चौहान के द्वारा सोशल मीडिया के द्वारा सुचना देकर थाना में बुला कर पूछ-ताछ करने का मामला इतना तूल पकड़ लिया की विधायक के शिकायत के बाद पुलिस कप्तान का तबादला भी करवा दिया गया. इस प्रकरण से पुलिस विभाग को भी काफी राहत मिली. पदाधिकारी के कार्यशैली से परेशान पुलिसकर्मियों के बयान के अनुसार “सर तो नीचा हुआ लेकिन दिल को ठंडक मिली”
इस तबादले के बाद विधायक समर्थक इसे अपनी जीत के रूप में जश्न मना कर सेलिब्रेट किये तो वहीँ दूसरी ओर विपक्ष भी इस बात पर इतरा रही थी की विधायक अपनी ही सरकार के खिलाफ खड़े हो गए है. लॉ-एन्ड-ऑर्डर के खराब होने का विपक्ष भी आरोप लगाते रही थी जिसे इस प्रकरण ने सही साबित कर दिया. भाजपा के जनप्रतिनिधि के साथ जुड़े नेता या पार्टी कार्यकर्त्ता खुलेआम आरोप-प्रत्यारोप भी लगाते नज़र आये.
कुछ लोगों ने यहाँ तक कह दिया की एक सांसद और एक विधायक का एक थाना प्रभारी से पन्गा हो गया था लेकिन कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाया लेकिन इस बार इनकी लड़ाई एस.पी से थी जिसे इन्होने बदलवा दिया. अब इनको कौन समझाए की दोनों के विवाद के समय सत्ता विपक्ष के हाथ में थी.
इसी बीच पूर्व से चली आ रही परंपरा जिसमे विधायक के पैतृक आवास पर “नवान्न” के अवसर पर भोज आयोजित होते आ रही है उसमे इस बार झारखण्ड के मंत्री राज पलिवार पहुँच कर एक नयी “रेसिपी” को तैयार कर दिए जिसके जायके का मज़ा पार्टी के कुछ लोगों के साथ -साथ विपक्षी भी उठा रहे है! हालांकि मंत्री महोदय के द्वारा बार-बार इस बात पर जोर दिया गया की “खिचड़ी” मकर संक्राति में बनती है नवान्न में नहीं!
इस पुरे प्रकरण में सांसद खेमा चुप है लेकिन अंदरूनी गुटबाज़ी पर पैनी नज़र रखे हुए है!
एक दिन अचानक एक विपक्ष के जुझारू कार्यकर्ता ने कहा की इस बार सांसद कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ेंगे! मैंने भी तपाक कह दिया तब तो आपकी घर वापसी तय है! इस सवाल पर थोड़ी चुप्पी छा गयी.फिर मैंने कहा अगर भाजपा के विरोधी है तो सांसद के कांग्रेस से चुनाव लड़ने पर सहयोग तो करना पड़ेगा आखिर गठबंधन धर्म भी निभाना है न!
यानी कहीं न कहीं गोड्डा में सियासती बिसात पर सभी नेता अपनी-अपनी मोहरों के साथ चाल चलने की फिराक में लगे हुए है! यूँ ही गोड्डा को #राजनीतिक_राजधानी थोड़े ही कहा जाता है!
#खुद_की_राजनीतिक_समझ_के_अनुसार_विश्लेषण!
अभिजीत तन्मय