“शत्रु अदृश्य,विनाश इसका लक्ष्य”
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एक मनोविश्लेषणात्मक लेख।
आज भारत के साथ-साथ कोरोना संक्रमण का वायरस संपूर्ण विश्व को अपने आगोश में ले चुका है जो कि विश्व में महामारी का रूप धारण कर लिया है।यह कोविड-19 के नाम
से भी जाना जाता है।यह आज विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ संपूर्ण विश्व के शोधकर्ताओं तथा चिकित्सकों के लिये एक चुनौतीपूर्ण समस्या के रूप में खड़ा हो चुका है,जिसके उपचार के लिये अबतक कोई कामयाब दवा नहीं निकली है।इसके रोकथाम के लिये केवल सतर्कता ही बरती जा सकती है।चूँकि यह एक छूआछूत की बिमारी है,इसलिये इससे बचाब तथा संक्रमण को रोकने के लिये सामाजिक दूरी बनाये रखना, मास्क,सैनिटाइजेशन का प्रयोग करना,घर के अंदर लाॅकडाउन की तरह ही रहना तथा आवशयकता पड़ने पर ही घर से बाहर जाना इत्यादि की सलाह दी जाती है।
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचना असंभव नहीं लेकिन कठिन काम है।आप यदि मनमानी तथा सामाजिक अराजकता फैलाना बंद नहीं करेंगे ,तो इसके संक्रमण से बचना
मुश्किल है।
जयपुर पुलिस कोरोना वायरस के संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित इलाके में डाॅक्टर हरिवंश राय बच्चन की प्रसिद्ध कविता “अग्निपथ”की,के कुछ अंश जिसने विश्व को हिला कर रख दिया-
मत निकल,मत निकल,मत निकल,हिला रखा है विश्व को,
रूला रखा है विश्व को,
फूंक कर कदम रख
मत निकल,मत निकल,मत निकल,जैसे शब्दों को जन जागरण के लिये अपने जागरूकता कार्यक्रम में जन-जन
तक पहुँचाने का प्रयास किया।
आज के समय में जब कोरोना वायरस का संक्रमण एक जानलेवा शत्रु की तरह कभी भी किसी के घर में चोर दरवाजे से घुस सकता है ,वैसे समय में शत्रु को कमजोर न समझते हुये,उसके बढ़ते हुये पराक्रम पर मानसिक रूप से कुठाराघात करते हुये कोरोना वायरस के चोर दरवाजे से शरीर के अंदर प्रवेश के रास्ते को “घरों में ठहरो,जरूरत पड़ने पर घर से बाहर निकलो,मास्क का प्रयोग करो,सामाजिक दूरी बनाये रखो इत्यादि”बीज मंत्र”का प्रयोग करके ही आज के समय में डाॅक्टर हरिवंश राय बच्चन के उक्ति को यथार्थ रूप में सरजमीं पर उतार सकते हैं।
आगे बच्चन जी का कहना है कि अगर आपके कदम जरा सी भी लड़खड़ा गये तो कितनों का दम घुट जायेगा।तेरी जरा सी भूल से देश दहल जायेगा।
आगे इस कविता में कहा गया है कि संतुलित व्यवहार कर ,घर से मत निकल,मत निकल नहीं तो कोरोना वायरस जैसे शत्रु से जायेगा दिल दहल।
प्रारंभ के दिनों में जब 22 मार्च 2020 को भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने संपूर्ण भारतवर्ष में”जनता करफयू”लगाया जो कि शत-प्रतिशत सफल नजर आ रहा था लेकिन बाद में जब अनलाॅक किया जाने लगा तब लोग जीवन के आनंद लेने लगे,जिसका जीता जागता प्रमाण के तौर पर मास्क लगाने वाले की संख्या में भारी कमी तथा ग्रामीण हाट में लोगों में सामाजिक दूरी का पूरी तरह से अभाव देखा जा सकता है।
अंत में जहाँ तक प्रशासन की बात है,धीरे-धीरे शिथिलता देखी जा रही है और प्रशासन करे तो क्या करे।प्रशासन तथा अन्य गैर-
सामाजिक संगठनों के द्वारा जागरूक बनाने का प्रयास किया जा सकता है,जबरदस्ती पालन कराना असंभव है,ठीक वैसा ही जैसे घोड़ा को पानी के पास ले जाया जा सकता है,पानी पिलाया नहीं जा सकता है।इसलिये यदि जीवन जीना है तो घरों के अंदर रहना है,जरूरी काम से ही बाहर निकलना है, सामाजिक दूरी को बनाये रखना ही होगा तथा संतुलित जीवन व्यतीत करना होगा तभी कोरोना वायरस के संक्रमण जैसे खतरनाक शत्रु से बचा जा सकता है।
आलेख साभार -श्री विमल कुमार “विनोद”भलसुंधिया,गोड्डा
(झारखंड)।