मानक क्षमता के कमी का भेंट चढ़ रहा अस्पताल की आधुनिक व्यवस्था !
सरकार के सहयोग और विभाग के प्रयास से स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुविधाएं तो बढ़ रही है। लेकिन जमीनी स्तर पर कितना ऐसे सुविधाओं का लाभ लोगों को मिल पाता है इसका जीता जागता उदाहरण सदर अस्पताल है। जहां आधुनिक सुविधाएं शुरू तो हुई। लेकिन इस मानक क्षमता कम रहने के कारण शोभा की वस्तु बनी हुई है।
बंद रहता है एसएनसीयू, दो डॉक्टर के भरोसे वार्ड :
विगत 18 दिसंबर को इस सिंक न्यू बॉर्न बेबी केयर यूनिट (एसएनसीयू) का उद्घाटन जिला परिषद की अध्यक्षत बसंती देवी ने की थी। लेकिन विडंबना देखिए कि पुराने साल में एक भी दिन इसमें किसी भी नवजात का इलाज नहीं किया जा सका। इसका मुख्य कारण यह था कि दो चिकित्सक जो इस वार्ड के इंचार्ज है। दोनों छुट्टी पर चले गए थे। नये वर्ष के नौ दिन बीत चुके है। इस दौरान मात्र छह नवजातों का इलाज इस आधुनिक वार्ड में किया गया है। अधिकतर समय यह वार्ड बंद ही रहता है। ऐेसे में जो सुविधाएं आम लोगों को इस वार्ड से मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिल पा रही है। विभाग के पास मैन पावर की काफी कमी है। विभागीय जानकारों की मानें तो एक ही चिकित्सकों से कई विभागों का कार्य कराया जाता है। जिसके कारण सुविधाएं सिर्फ कागजों पर ही सिमट कर रह जाती है। इस वार्ड में मानक क्षमता से काफी कम कर्मियों को लगाया गया है। इसमें मात्र दो एएनएम व दो चिकित्सकों को प्रभार दिया गया है। इसमें डॉ नाबेद अख्तर व डॉ जुनैद आलम शामिल है। जबकि मापदंड के अनुसार 24 घंटा एक चिकित्सक वार्ड में रहना आवश्यक है। लेकिन दोनों नियुक्त चिकित्सकों को इसके अलावे कई अतिरिक्त कार्यों का बोझ पूर्व से दिया गया है। इसमें ओपीडी, आपातकाल ड्यूटी के अलावे जेल ड्यूटी भी दिया गया है। इमरजेंसी में पोस्टमार्टम की भी ड्यूटी इन लोगों को दी जाती है। जिसके कारण इस आधुनिक वार्ड में कम समय ही ये चिकित्सक दे पाते है।
क्या कहते है पदाधिकारी :
विभाग में मैन पावर की कमी जरूर है। इसके बावजूद लोगों को सुविधाएं दी जा रही है। जहां तक एसएनसीयू की बात है तो दो चिकित्सक के अलावे डीआरसीएचओ डॉ अनंत कुमार झा को भी वार्ड विजीट के लिए निर्देश दिया गया है। कुछ समय वार्ड को व्यवस्थित होने में लगेगा। इसके बाद चौबीस घंटा सुविधा मिलनी शुरू हो जाएगी।
– डॉ बनदेवी झा, प्रभारी सिविल सर्जन, गोड्डा
रिपोर्ट :
मैं हूँ गोड्डा से अभिषेक राज की रिपोर्ट