युवा साहित्य अकादमी से सम्मानित साहित्यकार नीलोत्पल मृणाल द्वारा संताल की सभी जर्जर सड़कों की मरम्मती,सड़क दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिवार को मुआवजा एवं अवैध बालू ढुलाई एवं गिट्टी ढुलाई पर रोक लगाने के लिए युवा साहित्यकार का एकल भूख हड़ताल ।
राघव मिश्रा/संताल की सड़कों से तो आप वाकिफ ही होंगे ,अगर नही भी थे तो शायद दुमका देवघर मुख्य मार्ग पर सड़क दुर्घटना में एक ही परिवार के 6 लोगों की मौत के बाद हो गए होंगे ।
बदहाल सड़कों रेंगती गाड़ियों को आप रोज देख रहे होंगे ,रोज दुर्घटनाओं की खबरें भी आ रही है ,इन सब के बीच युवा साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार नीलोत्पल मृणाल भी इन दिनों अपने गृह छेत्र दुमका में ही हैं और लगातार बदहाल हो चुकी सड़कों की समस्या को उजागर कर रहे हैं ,साहित्यकार नीलोत्पल मृणाल ने इस विषय को लेकर अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिये सूबे के मुखिया से लेकर सांसद तक से विनती की ,आग्रह किया लेकिन बदहाल हो चुकी सड़क के बीच घुन लग चुकी सिस्टम ने इनके मुद्दों को दरकिनार किया ।
आदरणीय मुख्यमंत्री,
महोदय,
मैं आज यहाँ मर जाता।आगे दो बार बचा,मर ही जाता। मैं आपके राज्य का नागरिक हूँ और मैं चाहता हूँ कि कम से कम आपके इलाके किसी खराब सड़क के कारण किसी ट्रक की चपेट में आ के न मरूं।
क्या आप मुझे बचा सकते हैं। ये सड़क बन सकती है?@HemantSorenJMM pic.twitter.com/z5YiWfMRzI— Nilotpal Mrinal (@authornilotpal) September 7, 2020
नीलोत्पल मृणाल ने लगातार सरकार को अगाह भी किया खुद दो दो बार दुर्घटना में बचने की बात कही लेकिन बावजूद इसके किसी को कोई प्रभाव न पड़ा ।
अंततः युवा साहित्यकार ने हार न मानते हुए जनता की मूलभूत समस्याओं को लेकर 48 घण्टे के लिए भूख हड़ताल पर बैठने की घोषणा कर दी ,साहित्यकार ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि…
आदरणीय @HemantSorenJMM सर, एक लेखक द्वारा लाखों लोगों के लिये सड़क बनने जैसी अनिवार्य और आसान माँग को राजनीति से उपर देखना चाहिये।आप एक भरोसा तो देते।मुझे अफ़सोस और आश्चर्य है कि आपके मुख्यमंत्री रहते आपके ही घर में पैदा हुआ लेखक आज सड़क पे भूखा बैठेगा।सरकार को बधाई।जय हो। pic.twitter.com/9cCjFbvU76
— Nilotpal Mrinal (@authornilotpal) September 10, 2020
आप सब को हिन्दी कलम का प्रणाम।लेखक हूँ और मेरा काम है अलख जगाना। बस वही सामान्य लेकिन जरुरी कर्तव्य निर्वहन के लिये कल से फिर जमीन पे उतर रहा,एक नई रचना के लिये।बस यही साधारण मेरा लेखन है। कि जो लिखो उसे लड़ो भी।कलम की नोंक न छुटे और जमीन भी पकड़े रहना।
समाजिक लड़ाई लड़नी है तो खतरे उठाना होगा :मृणाल
नीलोत्पल मृणाल ने आगे लिखा है कि …
सार्वजनिक सामाजिक राजनीतीक लड़ाई के अपने कुछ खतरे और नुकसान होते हैं, जिससे कोई नहीं बच सकता। मुझे भी अगर लड़ाई लड़ना है तो ये खतरे उठाने होंगे, पहला खतरा तो राजनीतिक हमले का,दुसरा उन माफियाओं से खतरा जिनके खिलाफ़ बिगुल फूँका जायेगा।लेकिन इसके तैयार हूँ।
मैं सभी खतरे उठाने को तैयार : नीलोत्पल मृणाल
उन्होंने आगे लिखा है कि ये खतरा उठाते हुए भी मैंने तय किया कि, भीड़ जुटाने के अश्लील दवाब,हार-जीत के गणितीय परिणाम,नेतागिरी की मजबुर फूहड़ चिंता इत्यादि से मुक्त रह सकूँ इसलिये बिना किसी भीड़( जो मेरी हैसियत ही नहीं जुटाने की) अकेले ” एकल भूख हड़ताल” पे सड़क किनारे शांतिपूर्ण तरीके से बैठूंगा।
लेखन के जनसरोकारी प्रतिबद्धता को समर्पित है भूख हड़ताल :मृणाल
उन्होंने मूलभूत समस्याओं को लेकर अपने मुद्दे में आगे लिखा है मैं अपना भूख हड़ताल लेखन के जनसरोकारी प्रतिबद्धता को समर्पित करता हूँ। धूप में भूखे सड़क किनारे गिरा मेरे पसीने का एक-एक कतरा मेरी ओर से हिन्दी लेखन परंपरा को मेरा चढ़ाया फूल है,उसके प्रति मेरा आभार है।मुझे लेखक होने के बोध ने ही लड़ने को प्रेरित किया, ये हिन्दी की ऊर्जा है।
जिस मिट्टी का खा रहा उसका फर्ज निभा रहा :मृणाल
साहित्यकार ने अपने पोस्ट में कहा है मैं जिस मिट्टी का उपजा खा रहा उसके प्रति भी एक छोटा सा फ़र्ज निभा रहा।एक नागरिक की जिम्मेदारी भर निभा रहा।
एक और सुकून ले के उतर रहा कि मैं युवा साथियों को इस बात के लिये रत्ती भर भी आंदोलित कर पाऊं कि अपने जनहित के मुद्दों के लिये किसी कुर्ता पजामा और दल छाप मार्का नेता जी के भरोसे ना रहें।खुद एक नागरिक के तौर पे लड़ने उतरें।
आज से भूख हड़ताल पर नीलोत्पल मृणाल ।
उन्होंने 9 सितंबर को लिखे पोस्ट में कहा है कि अब कल 10 बजे सुबह से 48 घंटे के लिये/दो दिन बिना अन्न ग्रहण किये सड़क किनारे बैठने जा रहा।
सोशल मीडिया पर बुलंद हो आवाज: मृणाल
साहित्यकार नीलोत्पल मृणाल ने वर्तमान में मेन स्ट्रीम मीडिया की हालत को देखते हुए अपनी बातों को सोशल मीडिया पर लोगों को उठाने के लिए कहा है उन्होंने लिखा है कि
आप सब से बस यही विनती कर रहा कि मेरे इलाके के लिये इस आवाज़ को सोशल मिडिया में जरूर समर्थन करें और हिम्मत दें।
मेरी आवाज़ भले सरकार न सुने लेकिन ये तो अफ़सोस न रह जाए कि ” कोई आवाज़ तक उठाने वाला नहीं था”
आप हमारे इलाके की आवाज़ बनें।हम अपने जनप्रतिनिधि से ठगे गए वोटर हैं।सादर आभार।जय हो।
अब गौरतलब बात यह होगी कि देश कर युवा एक ओर बेरोजगारी का दंश झेल रही है वहीं दूसरी ओर युवा साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार नीलोत्पल मृणाल के इस जनसरोकारी मुद्दे (जो सीधे जनता के मूलभूत सुविधाओं से जुड़ा है )के द्वारा सरकार पर क्या असर डालती है ?
हलांकि साहित्यकार मृणाल के इस आवाज को सोशल मीडिया पर काफी बल मिल रहा है ,युवाओं द्वारा समर्थन देने की बात लिखी जा रही ,खूब शेयर किया जा रहा है ।
अब गहरी नींद और कोरोना में अटकी सरकार के कान कबतक फड़फड़ाती है ये एक साहित्यकार और साथ दे रही युवा वर्ग की कलम ही जवाब देगी ।