◆अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष:
परमानंद मिश्र,बरुन/पोड़ैयाहाट : प्रतिभा की पूजा तो हर जगह होती है। लेकिन जब प्रतिभा अभाव की अंधेरों से, गांव की पगडंडियों से ,आदिवासी घरों से निकलकर नगर और महानगरों में प्रकाश बिखेरता है तो यही प्रतिभा लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन जाता है। आज हम बात कर रहे हैं वैसे बालिकाओं का जिन्होंने अपने दम पर ना सिर्फ जिला बल्कि झारखंड को अपनी खेल क्षमता से मुकाम दिया है। आज झारखंड राज्य के वॉलीबॉल टीम में पोड़ैयाहाट प्रखंड के आठ खिलाड़ी शामिल है।
इन खिलाडियों में शांति मुर्मू ,तनुजा कुमारी ,जूली किस्कू, सबीना किस्कू , सुशांति मरांडी, सादमुनी बास्की, सबीना बास्की ,सरिता कुमारी ,अमीषा टूडू का नाम शामिल है ।
◆झारखंड टीम की कई रह चूकी हैं कप्तान :
झारखंड वॉलीबॉल टीम में इन बच्चों का एकाधिकार प्राप्त है,इनमें तो कई ने कहीं बार कप्तानी भी कर चुकी है शांति मुर्मू तनुजा कुमारी जूली किसको आदि ने कई बार झारखंड का नेतृत्व करते हुए दूसरे राज्यों में झारखंड का परचम लहराया है। इन खिलाड़ियों के नाम कई नेशनल खेल भी है।
शांति मुर्मू 7, सबीना ने 5 ,जूली ने 3 ,तनुजा 3 ,सादमुनि 5 नेशनल गेम खेल कर दूसरे राज्यों में झारखंड का लोहा मनवा चुकी है। इन बच्चों का ही मेहनत का परिणाम है कि 2019-20 में सीनियर वर्ग में पूरे झारखंड में उपविजेता रहा , अंडर 21 में विजेता , अंडर 18 में उपविजेता और अंडर 16 में विजेता रहा।
◆प्रेरणा से तैयार हो रहा खेलता बचपन :
इन बालिकाओं के प्रतिभा से प्रेरणा लेकर पोड़ैयाहाट के कई बच्चियों ने वॉलीबॉल प्रशिक्षण को लेकर आगे आयी है।
अष्टमी ,सुमित्रा, रुबी, संध्या, अष्टमी ,गुड्डी ,जूली ,करिश्मा, मोनिका, बीटी, अंजू सहित 11 छोटी-छोटी बच्चियां वॉलीबॉल प्रशिक्षण कार्यशाला में भर्ती हुई है जो प्रतिदिन सिनियर बालिकाओं के साथ परसोती स्टेडियम में पसीना बहा रही है।
◆अभाव में निखरती है प्रतिभा :
इन बच्चियों ने साबित किया है कि प्रतिभा हो तो अभाव आड़े हाथ नहीं आती है ।
इनमें तकरीबन सभी बच्चे गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वाले परिवार से है । ज्यादातर बच्चों के पिता दैनिक मजदूरी करके भरन पोषण करते हैं। इन बच्चों ने बचपन में कभी वॉलीबॉल नहीं खेला। बाबजूद जब भी इन्हें मौका मिला तो इन्होंने अपनी उपयोगिता साबित की। इन लोगों ने न सिर्फ़ पोड़ैयाहाट ,गोड्डा बल्कि पूरे झारखंड का मन सम्मान को बढ़ाया है।
◆खेल के साथ-साथ पढ़ने में भी अव्वल है सभी बच्ची :
इन बच्चियों को बालिका आवासीय प्रशिक्षण केंद्र में खेल के साथ पढ़ने की भी काफी सुविधाएं मिल रही हैं। प्रतिदिन खेल के अभ्यास के बाद जो समय बचता है ये लोग पूरा समय पढ़ाई में लगाती है। कोई डिग्री में ,तो कोई इंटर में , तो कोई मैट्रिक पढ़ रही है। प्रशिक्षित की ओर से इन विद्यालय में पढ़ने का भी पूरा अवसर दिया जाता है।
◆क्या कहते हैं प्रशिक्षक :
बालिका आवासीय प्रशिक्षण केंद्र के मुख्य प्रशिक्षक आदिवासी कुमार झा ने बताया कि आदिवासी और गरीब परिवार को होने के बावजूद दिन बालिकाओं ने गोड्डा जिला सहित झारखंड का मान-सम्मान बढ़ाने का काम किया है आज गोड्डा जिला में ईसीएल, अडाणी चाहे तो इस क्षेत्र में काफी कुछ इन बालिकाओं के लिए कर सकता है।