गरीब_परिवार_की_पीड़ा_की_पराकाष्ठा!
कहते है इंसान को मरने के बाद दो गज जमीन की जरुरत होती है भले वो किसी शियासत का राजा ही क्यों ना हो लेकिन कितना भी गरीब इंसान क्या डेढ़ बाय डेढ़ गज के घर में अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ जिंदगी गुजार सकता है? अगर आप ये सोचते है नहीं तो आपको बता दूँ की ये हो रहा है!
गोड्डा सदर प्रखंड के सरौनी पंचायत में एक शख्स अपने पुरे परिवार के साथ चार बाय चार फुट के घर में रह रहा है! अगर इसके बाद की स्थिति आप जानेंगे तो सर शर्म से झुक जाएगा की ये परिवार जिस घर में रहता है वो “शौचालय” है!
दयाशंकर साह, पिता-स्व.मोतीलाल साह प्रत्येक हटिया तालाब से मछली पकड़ कर हटिया में बेच कर अपना परिवार पालता है! पत्नी के अलावे उसके दो छोटे बच्चे है. दुर्भाग्य ये है की बिना घर के ही वो एक शौचालय में रह रहा है! उसका नाम ना तो बीपीएल की सूचि में है और ना ही उसे राशन मिलता है!
यही कारण है की उसे आजतक प्रधानमंत्री आवास भी नहीं मिल पाया!
जब हमने दयाशंकर से पूछा तो उसने बताया की “शौचालय की तुलना लोग देवालय से भी करते है यहीं कारण है की मैंने इस शौचालय को ही देवालय मान लिया और इसी में रहने लगा!”
उसे मुखिया के सहयोग से बकरी शेड मिला. इस बात की ख़ुशी भी उसे है लेकिन अफ़सोस भी है कि “इंसान शौचालय में रहता है और जानवर शेड में” अब ये फर्क करना मुश्किल है की इस घर में इंसान कौन है और जानवर कौन है?
उसके वार्ड सदस्य ने भी उसकी मदद करनी चाही लेकिन बीच में सरकारी नियम व्यवधान उत्पन्न खड़ा कर देता है! 2011 के सर्वे में उसके परिवार का नाम ही नहीं है! इस जघन्य अपराध को करने वाले जिन्होंने सर्वे किया था उसे सजा मिलनी चाहिए कि आखिर उसने कैसे रिपोर्ट तैयार किया कि इस तरह के गरीब परिवार का नाम बीपीएल सूचि में शामिल नहीं है!
मुखिया ने जताया मजबूरी
मुखिया शैलेश साह ने भी अपनी मज़बूरी बताया! जिनका नाम प्रधानमंत्री आवास योजना कि सूचि में शामिल है उसे ही आवास दिया जा सकता है! ग्रामपंचायत कि अपनी कुछ सीमाएँ है. ग्रामसभा से किसी के नाम को काटा जा सकता है लेकिन किसी छूटे नाम को जोड़ा नहीं जा सकता है!
अब सवाल ये उठता है कि जब तक नया सर्वे नहीं होगा क्या तब तक इस परिवार को ऐसे ही शौचालय में जिंदगी गुजारनी होगी?
आश्चर्य तो ये लगा कि जिला के पदाधिकारी कितने संवेदनहीन है. जब हमने उपायुक्त भुवनेश प्रताप सिंह से इस मुद्दे पर बात करनी चाहि तो उन्होंने बिना मामले को पूरा सुने ही रटा-रटाया जवाब दे दिया कि जांच करवा लेंगे! जबकि जांच क्या करवाना है ये भी उनको नहीं पता है!
अगर ऐसा ही हाल रहा तो प्रधानमंत्री का स्वच्छ भारत का सपना कभी पूरा नहीं होगा क्यूंकि 2019 में सबों को शौचालय मिलना है जबकि शौचालय का प्रयोग लोग रहने के लिए कर रहे है और शौच बाहर जा रहे है !