महागठबंधन या हठबंधन?
अभिजीत तन्मय/बीती शाम से ही कई खबरें आ रही थी जिसमे झारखण्ड में लोकसभा के 14 सीटों के लिए महागठबंधन के दलों की बैठक में रूप रेखा तैयार की जा रही थी।
पूर्व मुख्यमंत्री सह झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के साथ झारखण्ड काँग्रेस के प्रभारी आर पी एन सिंह और झाविमो के नेता दिल्ली में राहुल गांधी के साथ सीटों पर तालमेल कर रहे है।
सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में कोई भी तस्वीर साफ नही हो पाई।काँग्रेस झामुमो और झाविमो दोनों को साथ लेकर लोकसभा की वैतरणी पार करने के फिराक में है लेकिन कुछ सीटें ऐसी है जिसमे आकर चिज फँस जाती है।
गोड्डा लोकसभा सीट संथाल परगना के तीन सीटों में सबसे खास है क्योंकि यही एक ऐसा सीट है जो अनारक्षित है बाकी की दोनों सीट दुमका और राजमहल अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है अगर इसे भी कांग्रेस छोड़ दे तो उसके लिए संथाल परगना में कुछ नही बचेगा। दुमका और राजमहल लोकसभा सीट झामुमो के खाते में पूर्व से ही है और उनदोनो सीटों पर कोई उँगली उठा भी नही सकता है क्योंकि दोनों सीटें झामुमो का गढ़ कहलाती है।
झाविमो की नजर गोड्डा सीट पर है क्योंकि प्रदीप यादव यहाँ से चुनाव लड़ने का मूड बना चुके है।
पिछले दो चुनाव में गोड्डा लोकसभा में त्रिकोणीय संघर्ष चला आ रहा है। पिछली बार मोदी लहर में भी कांग्रेस के फुरकान अंसारी तीन लाख से ज्यादा मत लाकर द्वितीय स्थान पर काबिज हुए। झाविमो के प्रदीप यादव लगभग दो लाख मत लाकर तीसरे स्थान पर रहे।
दोनों ही दलों के प्रत्याशी महागठबंधन के प्रत्याशी बनना चाहते है लेकिन कोई भी बलिदान देने को कोई तैयार नही है। काँग्रेस के फुरकान अंसारी 2004 में लोकसभा सांसद बने थे उसके पूर्व 2002 में भाजपा के टिकट से उपचुनाव में प्रदीप यादव भी सांसद बने थे लेकिन 2009 से निशिकांत दुबे यहाँ से सांसद है।
झाविमो कम से कम दो सीटों को चाहती है जिसमे कोडरमा और गोड्डा है लेकिन काँग्रेस पिछले तीन राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद आत्मविश्वास से लबरेज है और वो गोड्डा सीट पर अपना प्रत्याशी उतारना चाह रही है।
झारखण्ड में अख़लियत नेता के रूप में काँग्रेस के पास फुरकान अंसारी एक बड़ा चेहरा है जिसे वो चुनाव में भंजाना चाहती है। टिकट काट कर वो अल्पसंख्यक समुदाय के कोपभाजन बनना नही चाहती है।
फुरकान अंसारी का काँग्रेस पार्टी में भी बड़ा कद है ये पार्टी के बड़े नेता भी मानते है।राहुल गांधी जब काँग्रेस (आई) के अध्यक्ष पद के लिए फॉर्म भर रहे थे तो प्रस्तावक के रूप में पूर्व सांसद फुरकान अंसारी के ही हस्ताक्षर थे इससे इनकी पार्टी में वजूद का अंदाजा लगाया जा सकता है।
महागठबंधन लोकसभा सीट जीतना चाहती है लेकिन तालमेल का अभाव साफ नजर आ रहा है।
कुछ बादल छाए हुए है जो आने वाले कुछ दिन में गठबंधन के चहरे को साफ करेंगे लेकिन एक बात तो तय है कि कोई भी दल कदम पीछे करने के मूड में नही दिख रहा है।
अपुष्ट सूत्रों के मुताबिक अगर झाविमो को मनमुताबिक सीट नही मिला तो वो अकेले चुनाव लड़ने को भी तैयार है।