पूरा देश नारी/बच्ची/लड़की की सुरक्षा के सवाल पर बहस कर रहा है। कोई दिल्ली की दामिनी की बात करता है तो कोई कठुआ कांड पर बहस छेड़ देता है। कुछ लोग मंदसौर की चर्चा करते है तो कोई इसे कौम/धर्म से जोड़कर देखता है तो कोई सेकुलर और कॉमिनल दृष्टिकोण रखता है।
बड़े शहरों की घटनाओं पर मीडिया और नेताओं की भी बड़ी नज़र रहती है। अगर वोट का माइलेज मिलने की संभावना ज्यादा नज़र आये तो पक्ष या विपक्ष में बयान भी दे देंगे।
कुछ लोग को ऐसी घटनाओं से कोई दर्द नही होता है लेकिन पब्लिसिटी स्टंट के लिए धार्मिक उन्मांद भड़काने के लिए बयान देना पसंद है।
घटना अगर मजहबी हो तो बॉलीवुड की बालाएं भी ट्विटर और न्यूज़ चैनल पर नज़र आने लगती है लेकिन यहां भी कौम मायने रखता है।
#आयशा_और_आशा_के_दर्द_के_मायने_बदल_जाते_है।
जघन्य अपराध के अपराधी के प्रति नजरिया भी बदल जाता है उनके जात/धर्म को देखकर।
#हां_माना_कि_राजनीति_में_दोगले_लोग_सभी_नही_होते_है_लेकिन_ #वाज़िब_मुद्दों_पर_नही_बोलने_वाले_भी_दोगले_ही_होते_है।
कल तक इसी देश के नेता और कार्यकर्ता सिर्फ इसीलिए खुश थे कि महिलाओं की असुरक्षा के दृष्टिकोण से भारत का स्थान दुनिया मे पहले स्थान पर है।
यानी विपक्षियों को मिल गया मुद्दा लेकिन क्या इस देश के किसी भी सरकार या नेता या पार्टी में ये हिम्मत है कि वो सोई हुई नाबालिग बेटी को बाप के हवस से बचा सकती है?
आइये आकर जवाब दीजिये,है हिम्मत!
#पिता_ने_नाबालिग_बेटी_के_साथ_किया_दुष्कर्म
गोड्डा जिला के राजाभिठा थाना क्षेत्र में रिश्ते को कलंकित करते हुए पिता ने अपनी नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म किया मामले को लेकर पीड़िता की मां ने अपने पति के खिलाफ थाना में दुष्कर्म व पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया है घटना के बाद से पुलिस आरोपी की गिरफ्तारी कर जेल भेज दी है!
इंसान की इंसानियत अगर मर गई हो तो क्या वो मुल्क ज्यादा दिन जीवित रह पाएगा?
संस्कार अगर खत्म हो गया तो कोई भी लड़की इस देश मे सुरक्षित नही रह सकेगी।
अरे आप मानवाधिकार वाले,एनजीओ वाले,राजनीति वाले हमेशा वैसे ही मुद्दे पर मुंह मारते हो जिससे कोई फायदा हो। मीडिया की सुर्खियां बटोरने का मौका मिले।
आओ गोड्डा की एक अल्पसंख्यक बेटी अपने ही बाप के नापाक हरकतों का शिकार बनी है।
उठाओ ना आवाज!!
कोई दे या ना दे मैं दूँगा साथ,है हिम्मत??
अभिजीत तन्मय