सरकार सड़कों को गड्ढामुक्त करने के लिए प्रयासरत है लेकिन बालू से लदे ओवरलोड वाहन गड्ढायुक्त बना रहे हैं। अच्छी खासी सड़कों की सेहत बिगड़ रही है। बालू खदान शुरू होने के बाद से ही सड़कों पर दबाव बढ़ा है। टैक्टर ट्राली तो ओवरलोड चल ही रहे हैं, ट्रक व डंफर भी क्षमता से कई गुना अधिक बालू भरकर फर्राटा भर रहे हैं। नगर के बीच से गुजरते ओवरलोड वाहन के फंसने से घंटों जाम लगता है।
प्रति वर्ष सरकार सड़कों पर इस उम्मीद से करोड़ों खर्च करती है कि यातायात का चक्का रफ्तार पकड़े लेकिन लापरवाह सिस्टम सड़क की दुर्दशा कराने में लगा है। सड़कों की सेहत को नुकसान पहुंचाने में ओवरलोड वाहन व खाकी की मिलीभगत बेहद अहम है। ओवरलोड वाहन से खाकी सेटिंग कर अपनी जेब गरम कर रही है। इस वक्त महागामा, पथरगामा, सुंदरपहाड़ी आदि जगहों से बालू खनन कर डंपर व ट्रक वाहन दिन-रात ढोने में जुटे हैं। वाहनों की छत से करीब दो फिट ऊपर तक बालू भरकर फर्राटा भर रहे हैं। क्षमता से अधिक ये वाहन जिला से विभिन्न राज्य बालू लदे ये वाहन जब सड़क से गुजरते हैं तो देखने वाले भी सहम जाते हैं। बता दें कि गत वर्ष यह सड़क बनी थी लेकिन इधर कुछ ही दिनों में ओवरलोडिंग के कारण कई जगहों पर धंसने लगी है।
यातायात भी होता प्रभावित
क्षेत्र से ओवरलोड वाहन काफी संख्या में निकलते हैं। इससे यातायात भी प्रभावित होता है। छोटे से कस्बे में ट्रकों की लाइन लगी रहती है। इस कारण सड़क पर चलना भी खासा जोखिम भरा होता है। थाने की पुलिस को निगरानी के लिए लगाया भी जाता है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती।
ओवरलोड बालू वाहनों की नहीं होती जांच :
पुलिस प्रशासन के बड़े अधिकारी दोपहिया व चार पहिया वाहनों की चेकिंग का फरमान तो जारी करते हैं लेकिन ओवरलोड वाहनों पर कोई निर्देश नहीं दिया जाता जबकि थाने के सामने से ही ओवरलोड वाहन गुजरते हैं।पुलिस ने थाने के सामने से ही प्रतिदिन गुजर रहे सैकड़ों वाहनों में से अब तक एक भी वाहन के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की है। पिछले सप्ताह पुलिस ने हिम्मत दिखाते हुए एक बालू लदे ओवरलोड वाहन को रोका भी था कि किसी का फोन आ गया। जिसके बाद बगैर कार्रवाई के ओवरलोड वाहन को छोड़ना पड़ा।