छह माह बाद फिर से आडाणी पावर प्लांट के विरोध की सुगबुगाहट तेज हो गयी है। काफी दिनों से शांत हुए प्रकरण दोबारा जन्म ले रहा है। सोमवार को जमाबंदी संख्या 42 के रैयत मैनेजर हेम्ब्रम के जमीन पर करीब दो सौ रैयतों ने एक दिवसीय कफन सत्याग्रह किया। जिसके तहत महिला व पुरूष रैयतों ने सफेद रंग का कफन ढक कर प्लांट में जाने वाली जमीन पर बैठे रहे।
सत्याग्रह करने वाले लोगों ने नारा लगाया कि जान देंगे लेकिन जमीन नहीं देंगेञ। उनलोगों ने संकल्प लिया कि पावर प्लांट में अपना जमीन अधिग्रहण होने नहीं देंगे। सत्याग्रह का नेतृत्व कर रहे सूर्य नरायण हेम्ब्रम ने कहा कि पूर्व से लेकर आज तक प्लांट के विरोध की जानकारी सरकार को दे रहे है। कंपनी जबरदस्ती तरीके से जमीन को हथियाने का प्रयास कर रही है।
सत्याग्रह में लखन मंडल, शतीश मांझी, सुबोध झा, रामजीवन पासवान, सुशील हेम्ब्रम, उमाकांत साह,प्रदीप साह आदि मौजूद थे।
मुठ्ठी भर लोग फैला रहे भ्रम, प्रशासन फर्जी रैयतों की पहचान करें :
इधर पोड़ैयाहाट प्रखंड के बसंतपुर गांव में सोमवार को माली मौजा के रैयतों की बैठक हुई। रैयतों ने कहा कि कुछ मुठ्ठी भर लोग किसी के बहकावे में आकर फर्जी रैयत खड़ाकर भ्रम फैला रहे हैं। लोगों ने कहा कि जब प्रस्तावित अडाणी पावर प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण के संबंध में माली मौजा के नब्बे प्रतिशत से ज्यादा रैयतों ने पहले ही प्रशासन को सहमति दे दी है तो फिर ये कौन लोग हैं जो रैयत बनकर रह-रहकर लोगों को गुमराह करते हैं। प्रशासन ऐसे लोगों की पहचान कर कार्रवाई करे क्योंकि भ्रम फैलाना भी अपराध की श्रेणी में आता है। बैठक में बड़ी संख्या में लोग उपस्थित हुए थे।
बसंतपुर निवासी व माली मौजा के रैयतों रंजन मंडल, पवन ठाकुर, महेंद्र महतो, मनोज रजक, प्रमोद मांझी, प्रदीप मांझी, हरकिशोर शर्मा, रंजीत मंडल आदि ने कहा कि आज भी कुछ लोग माली मौजा में बैठकर प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन जब हमने देखा तो उनमें से ज्यादातर लोग ऐसे हैं जो रैयत ही नहीं हैं। जांच होनी चाहिए कि आखिर कौन है जो इन लोगों को बहका रहा है। कंपनी लगने से इस क्षेत्र में सीएसआर के तहत बेहतरीन कार्य हो रहा है। कौन व्यक्ति है जो इन कार्यों से जल रहा है और लोगों को बहका रहा है। पावर प्लांट लगेगा तो हम लोगों का फायदा होगा। आखिर कोई रैयत क्यों चाहेगा कि उसे फायदा न मिले। एक अखबार के माध्यम से ज्ञात हुआ कि कुछ लोग ये भ्रम फैला रहे हैं कि कंपनी के लिए जबरदस्ती जमीन घेरी जा रही है, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। जहां तक हमें जानकारी है सदर प्रखंड के मोतिया मौजा की जो जमीन सरकार ने कंपनी को हस्तांतरित की है सिर्फ उसके फेंसिंग का कार्य चल रहा है।
मोतिया व आसपास के दर्जन भर गांवों में मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं, स्कूलों में बच्चों को बैग दिए गए हैं, पीने के पानी की व्यवस्था की गई है, गंभीर रोगों से ग्रसित लोगों के इलाज की व्यवस्था की जाती है। कंपनी हमारे सुख दुख की साथी बन चुकी है। ऐसे में हम ऐसे किसी भी प्रयास का विरोध करते हैं जिससे हमारे क्षेत्र का विकास प्रभावित हो। माली के रैयत किसी के खिलाफ नहीं हैं, बस इतना चाहते हैं कि कोई हमारे नाम पर न खेले। बैठक में चंदन कुमार, विष्णु मांझी, मैनेजर , सोहित मांझी, संतोष ठाकुर, संजय ठाकुर, शशिकांत रजक आदि लोग भी उपस्थित थे।