मूंछों की लड़ाई बन गया मेला डाक,दिनोदिन बढ़ती जा रही है राशि,और घटती जा रही है रौनक ।
ऐतिहासिक मेला अब विलुप्त की कगार पर।
अभिजीत तन्मय/साल भर से इंतजार की राह तकता 26 जवनरी का मेला अब कुछ सालों के बाद इतिहास के पन्नो में सिमट कर रह जाएगा।
1957 से शुरू हुआ ये मेला आज प्रशासनिक अधिकारियों के कारण विलुप्त हो रहा है।
उस समय जब ये मेला शुरू हुआ तब गोड्डा अनुमंडल संथाल परगना जिला का अंग था। केशर ए हिन्द की जमीन मेला मैदान पर मेला लगता था जिसको अनुमंडलाधिकारी के अध्यक्षता में बनाई गई समिति के द्वारा संचालित किया जाता था। छोटा सा शहर लेकिन विराट मेला सजता था। मेला मैदान,गांधी मैदान,बस स्टैंड,पुराना डीआरडीए(वर्तमान में सिविल सर्जन कार्यालय)प्राइवेट बस स्टैंड से लेकर ब्लॉक मैदान तक मेला लगता था।
शहर के प्रबुद्ध जन आज भी कहते है कि उस समय 26 जनवरी के मेला में गोड्डा सोता नही था। रात भर बाजार खुला रहता था। पहाड़िया और आदिवासियों का पूरा झुंड आता था जो मेला का आनंद लेता था।
धीरे-धीरे मेला का प्रारूप बदलते चला गया। मेला के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम,ग्रामीण खेल एवम कृषि प्रदर्शनी को भी शामिल किया जाने लगा। उस समय मेला के लिए सरकार से कुछ राशि भी आने लगी। बाद में एक समिति बनाई जाने लगी जो मेला में लगाने वाले दुकानदारों एवम करतब दिखाने वालों से एक फिक्स राशि की उगाही करती थी जिससे ग्रामीण खेलकूद,सांस्कृतिक कार्यक्रम एवम कृषि प्रदर्शनी करवाने का खर्च वहन हो जाता था।
कालांतर में गोड्डा अंचल द्वारा मेला का डाक किया जाने लगा। राजस्व में प्राप्त राशि से ही अन्य कार्यक्रम किया जाने लगा। कुछ साल के बाद मेला मैदान को सैरात में परिणत कर दिया गया जिसके बाद इस मैदान पर लगने वाले मेला का डाक नगर पंचायत करने लगी। उसी समय से ही एक लाख रुपये के नीचे होने वाला डाक बढ़कर पिछले साल 20 लाख पर पहुँच गया। मेला मैदान की घेराबंदी के बाद मेला भी सीमित हो गया।
आन बान की लड़ाई में जनता परेशान ।35 लाख एक हजार में बिका मेला।
इस वर्ष मेला मैदान के लिए हुए डाक ने सारे रिकॉर्ड को तोड़ दिया और 20 लाख का मेला 35 लाख एक हजार में बोली लगाई गई।
इस मेले के अत्यधिक डाक होने से नगर परिषद को राजस्व की प्राप्ति हो गयी लेकिन मेला की रौनक समाप्त हो गयी। अभी मँहगाई और सुखाड़ के कारण आम जनजीवन पहले से प्रभावित था उसपर से इस मेले के डाक की राशि सुनकर ठंड में भी गर्मी का एहसास हो गया।
आने वाले समय मे खत्म हो जाएगा गणतंत्र दिवस के अवसर पर लगने वाले ऐतिहासिक मेला
जिस तरह सुरसा के मुँह की तरह हर साल मेले के डाक की राशि बढ़ रही है उससे एक दिन ऐसा आएगा जब लोगो का इस मेले के प्रति मोह भंग हो जाएगा।
मूंछों के आन के लिए बढ़ी रकम देकर भी मेले को अपने नाम कर लेते है। अब देखना ये है की इस बार का 35 लाख+3%एग्रीमेंट राशि का मेला कैसा दिखता है?
इन लोगों ने लगाई बोली
मेला डाक में कुल 6 लोग शामिल हुए थे लेकिन अंत मे मुख्य रूप से राजेश साह 29 लाख ,पवन गाडिया 32लाख 50 हजार विकास सिंह 32 लाख 52 हजार ,उसके बाद रविंद्र पांडे 35 लाख एक हजार में फाइनल कर मेला का डाक अपने नाम कर लिया!