मेहरमा के सुधनी पंचायत के बोरमा संथाली टोला की 90वर्षीय बसुनी तुरी को अब सरकार का आसरा और सहारा मिल गया है । स्कूल के शौचालय में रहने को मजबूर बसुनी पिछले साल भर से एक स्कूल के शौचालय को अपना घर बना ली है,जबकि वो स्कूल की जमीन ही कभी बसुनी का हुआ करता था ।
90 वर्षीय बृद्ध महिला को खाने के लिए अनाज नही जुट पा रहा था,स्कूल के ही परिसर में बसुनी का एक छोटा झोपड़ी भी है ,लेकिन झोपड़ी ऐसी की आंधी तूफान में कभी भी उड़ जाय ।बसुनी कहती है कि इस झोपड़ी में इसलिए नही रहते की यहां पानी पड़ता है तो छप्पर से पानी टपकने लगता है इसलिए साल भर से शौचालय में ही अपना जीवन काट रही हूं ।स्कूल की जमीन एक बेटा दान देकर कहां चला गया है किसी को पता नही है ।बसुनी का यह हाल उसके पति के गुजर जाने के बाद शुरू हो पति के देहांत के बाद ही बसुनी कि जमीन को स्कूल को दान दे दिया गया था ।लेकिन उसी जमीन की कभी मालकिन रही बसुनी आज एक शौचालय में अपनी जिंदगी काटने को मजबूर है ।
क्या हुआ था खबर का असर :
पिछले दिनों मैं हूँ गोड्डा में बसुनी की पूरी खबर प्रमुखता से दिखाई गई थी जिसके बाद महगामा विधायक दीपिका पांडे सिंह ने मेहरमा बीडीओ एवं सीओ को इसकी जानकारी देकर तुंरन्त सरकारी मदद देने को कहा ।
खबर का असर ये हुआ कि आज बसुनी को बंद पड़े स्कूल में ही एक कमरा मिल गया है,बसुनी को शौचालय से स्कूल के कमरे में शिफ्ट कर दिया गया ।मेहरमा बीडीओ एवं सीओ खुद पहुंचकर बसुनी को चावल ,दाल,नमक तेल झोपड़ी ढकने को एक त्रिपाल और साड़ी दिया गया ।अब बसुनी खुश थी कि उसी स्कूल में उसे एक कमरा मिला जिस स्कूल की भूमि ही कभी बसुनी की हुआ करती थी ।
बीडीओ सुरेंदर उराँव ने हमे बताया की चूंकि बसुनी की सूची में नाम न रहने के कारण फिलहाल उसे जोड़ने का काम किया जा रहा है साथ ही उनके मकान के लिए भी व्यवस्था की जा रही है ।फिलहाल जबतक स्कूल नही खुल रहा तबतक स्कूल कर भवन में ही बसुनी रहेगी ।बसुनी के साथ उसकी इस कष्टकारक जिंदगी में दो कुत्ता,एक मुर्गी,और एक सुअर है जो हमेसा उसके साथ ही रहता है ।
हालांकि बसुनी का दुख यहीं समाप्त नही हो जाता ,हमारी खबर का असर ये हुआ कि फिलहाल बसुनी को सहारा मिला है और धुंधली सरकारी व्यवस्था का ध्यान बसुनी की ओर गया है ,सरकारी सिस्टम अगर बसुनी पर इसी तरह ध्यान रखेगी तो उम्मीद है जल्द ही बसुनी को अपना मकान होगा ।
आगे की कहानी यहां से :
बसुनी को सरकारी सिस्टम से अनाज और स्कूल का कमरा तो मिल गया लेकिन मुसीबत बसुनी का पीछा नही छोड़ी ,बसुनी के सारे समान चोरी हो गया ,जबकि पड़ोस के आदिवासी परिवार का कहना है कि बसुनी को स्कूल प्रबंधन रखना नही चाहता है ,पड़ोस के आदिवासी परिवार के द्वारा बसुनी को हरसंभव मदद जारी था किसी तरह स्कूल के कमरे तो कभी बरामदे पर अपने दो कुत्तों और एक सुअर के साथ गुजार ही रही थी कि आज बसुनी की तबियत अचानक बिगड़ गई।
स्थानीय पत्रकार ने प्राथमिक उपचार के लिए भेजा :
इस खबर को कवर करने वाले मेहरमा के मुक्तिनाथ पांडे ने बसुनी की सुध ली और आनन फानन में उसे प्राथमिक उपचार के लिए भेजा ,बसुनी को पूछने पर वो कहराते हुए कह रही है कि मुझे बुखार है ।
जानवर कर रहे बसुनी कि हिफाजत ।
अब इस तरह की व्यवस्था में लॉकडाउन के बीच जहां आपको इंसानों के द्वारा जानवर की हत्या करने की खबर विचलित कर दी थी लेकिन यहां जानवर के द्वारा इंसानों की रक्षा हो रही है ।
बसुनी को दो कुत्ता और एक सुअर है आज जब पत्रकार मुक्तिनाथ पांडे बसुनी की सुध लेने पहुंचे तो वो बुखार से हांफ रही थी कुछ कह पाने में भी असमर्थ थी ,लेकिन बसुनी के वो पालतू जानवर बसुनी का खयाल रख रहा था ।
बसुनी की ऐसी हालत देखकर स्थानीय पत्रकार ने इंसानियत के नाते उसे प्राथमिक उपचार के लिए भेजा ।लेकिन सिस्टम और सरकार के वो रहनुमा फिर बसुनी की खैरियत लेने नही पहुंचे हैं ।