दोपहर में जांच के बाद एसडीओ ने कहा था नहीं है कोई अश्लीलता, शाम में पुनः हुई जांच के बाद कराया गया बंद
गणतंत्र दिवस के अवसर पर चलने वाला ऐतिहासिक मेला में चित्रहार के नाम पर अश्लीलता परोसा जा रहा था। इसकी खबर जिला प्रशासन को तब लगी जब मैं हूँ गोड्डा पोर्टल में प्रमुखता से खबर लगी जिसके बाद से ही प्रशासन रेस में आयी और गुरूवार की शाम को एसडीओ फुलेश्वर मुर्मू व एसडीपीओ रविकांत भूषण दलबल के साथ पहुंचे और दोनों चित्रहार को हमेसा के लिए बंद करा दिया गया। साथ ही मेला संवेदक को भी ऐसी अश्लीलता प्रोग्राम आगे से नहीं कराने की बात कही।
क्या है मामला :
जानकारी के अनुसार मेला में दो चित्रहार का काउंटर लगाया गया है। जहां पर चालीस रूपये प्रति व्यक्ति टिकट का मूल्य रखा गया है। मेला के पहले दिन ही यानि 26 जनवरी को चित्रहार काउंटर के बाहर कुछ अश्लील पोस्टर भी लगवाया गया था। मैं हूँ गोड्डा पोर्टल के जरिये जिला प्रशासन इसकी जानकारी मिली थी एवं कुछ वीडियो भी उपलब्ध कराया गया था जिसके बाद एसडीपीओ रविकांतभूषन के पहल पर पोस्टर को उतरवाया गया था। पोर्टल पर लगी खबर में भी युवतियां अर्धनग्न होकर नृत्य प्रस्तुत कर रही है। इस क्लिप में नृत्य के दौरान शराब की छलकाने की भी बात कही जा रही है। दूसरे क्लिप में तीन चार की संख्या में युवतियां अश्लीलता भरी नृत्य भी कर रही है। जिसके बाद से ही जिला प्रशासन रेस हो गया।
जिसकी जांच आज दोपहर लगभग बारह बजे एसडीओ फुलेश्वर मुर्मू ने किया। जहां पर उन्होंने शो के दौरान ही अंदर पहुंचे और जांच की। जिसके बाद उन्होंने साफ शब्द में कहा कि इसमें कोई अश्लीलता नहीं है। लेकिन सवाल उठ रहा है कि आखिर शाम में अचानक दलबल के साथ आकर उन्होंने दोनों चित्रहारों को बंद करा दिया। हालांकि सूूत्र बताते हैं कि शाम में पुनः अश्लीलता की बात उच्च पदाधिकारी के पास पहुंच गई और साफ तौर पर आदेश दिया गया कि चित्रहार को बंद किया जाय ।
अब सवाल यह है कि आखिर पहली ही जांच में क्यों नहीं बन्द किया गया। सूत्र बताते है कि चित्रहार को चालू रखवाने में कुछ लोग अश्लीलता का मापदंड तय करने की भी बात चल रही थी। लेकिन आला कमान को खबर होने के बाद चित्रहार को सीधे बंद कराने का आदेश दिया गया।और आखिरकार एसडीओ फुलेश्वर मुर्मु एवं एसडीपीओ रविकांतभूषन खुद दलबल के साथ पहुंचकर चित्रहार को बंद करवा दिए
स्कूली बच्चे भी हो रहे थे परेशान ।
मेले में लगे चित्रहार एवं कानफाड़ू आवाज में बजाए जा रहे गानों से स्कूली बच्चे भी परेशान थे ,गौरतलब बात यह भी थी कि चित्रहार के बगल में ही मध्य विद्यालय गोड्डा (बालक) अवस्थित है जिसमे दिन में स्कूल के दौरान ही चित्रहार से बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था ।अब चित्रहार के बन्द होने से स्कूली बच्चे भी राहत की सांस लेंगे ।
क्या कहते हैं शहर के नागरिक ।
गणतंत्र दिवस के मौके पर लगने वाले इस ऐतिहासिक मेला के बारे में जब हमने शहर के नागरिक रमन मिश्रा से पूछा तो उन्होंने बताया कि एक समय था जब मेला का दायरा भी काफी बड़ा होता था और बाहर से रेडियो में लोकगीत गाने वाले पहुंचते थे साथ ही लोकल संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह मेला लगाया जाता था ।लेकिन आज के परिवेश में जिस प्रकार चित्रहार के जरिये फूहड़ गाने एवं अश्लीलता भरी नृत्य को परोसा जा रहा इससे यह मेला हमलोगों के लिए अभिशाप बन गया है एवं इसका दूरगामी परिणाम होगा ।
वहीं शहर के ही नागरिक राजीव कुमार बताते हैं कि इस प्रकार से फूहड़ता से स्कूली बच्चों से लेकर सदर अस्पताल एवं बगल के प्ले स्कूलों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा इसपर प्रशासन की कार्रवाई जल्द होनी चाहिए ।