हाल के दिनों में जिले में कस्तूरबा प्रकरण जोरों पर है ।
हुआ यूं कि रांची से सूत्रों के हवाले से छपी एक खबर जिसमे यह लिखा गया था कि गोड्डा कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में नक्सली ने दी थी दस्तक ।इस खबर को जैसे ही जिले में बैठे अधिकारी तक पहुंचाया गया तो सबों ने एक सिरे से इसे खारिज कर दिया था।चूंकि कोई पुख्ता प्रमाण सामने नही आया था न ही किसी ने वैसी गतिविधि के बारे में बताया,इसलिए शुरुआती दौर में ये खबर एक संसय की स्थिति पैदा कर रखी थी ।दूसरी और देखा जाय तो उस खबर को निकालने वाले पत्रकार पर कार्रवाई करने तक की बात जिले में बैठे पुलिस कप्तान की ओर से सामने आया ।लेकिन हमने भी इसे लोकतंत्र पर उठे सवाल के पीछे तह तक जाने का प्रयास जारी रखा ,शुरुआती दौर में कोई ऐसी बात सामने नही आ पा रही थी जिससे यह स्पष्ट हो सके कि कस्तूरबा विद्यालय के अंदर कोई घटना हुई है ।हालांकि जिला प्रशासन की ओर से तुरन्त जांच भी करवाया गया लेकिन वो महज एक खाना पूर्ति जैसा ही था ,चूंकि खबर के ठीक दो दिन बाद आईजी सुमन गुप्ता भी गोड्डा दौरा पर आई थी ,हालांकि आईजी ने भी इस खबर को भ्रामक बता कर यह स्पष्ट कही थी कि हम सूचनाओं पर कार्रवाई करते हैं ।लेकिन आईजी को क्या पता था कि जिस वक्त वो एसपी के चेम्बर में मीडिया को सम्बोधित कर रही थी ठीक उसी वक्त वो पीड़ित कस्तूरबा की बच्ची उपायुक्त के पास आवेदन लेकर फरियाद करने पहुंची थी ।जब वो पीड़ित लड़की सामने आ गई जिसके साथ 2 जुलाई की रात में घटना घटी थी ,लड़की ने मीडिया को दिए बयान में ये स्प्ष्ट रूप से कही है कि रात में एक लड़की नकाबपोश में विद्यालय के अंदर प्रवेश की थी और उसके साथ गलत बर्ताव हुआ था,यहां तक कि उसकी जान मारने की कोशिश भी की गई थी ,साथ ही उक्त पीड़ित लड़की के बयान के अनुसार नकाबपोश के द्वारा ये कहा गया था कि शर्त न मानने पर कस्तूरबा विद्यालय को उड़ा दिया जाएगा।
बहरहाल इस घटना की अगली कड़ी यह है कि उस लड़की के बयान आने के बाद कई सवालों के घेरे में जिला प्रशासन को खड़ी कर चुकी थी ,लेकिन पुनः जांच की औपचारिकता पूरी की गई ,जांच के बाद तबतक कोई उत्तर प्रशासन की ओर से नही आया था,और हमने भी अपनी पड़ताल जारी रखा था।तबतक 20 सूत्री की बैठक में मंत्री रणधीर सिंह के सामने पुनः कस्तूरबा का मामला उठ गया ,जहां उपायुक्त की ओर से जवाब आया कि सबकुछ लोकल राजनीतिक के कारण मामले को हवा दिया जा रहा है हम दोषी शिक्षिकाओं को चिन्हित कर रहे हैं उनको विद्यालय से हटाया जाएगा, मामला बीस सूत्री में शांत हो गया ।लेकिन मेरी पड़ताल अब भी जारी था ।पीड़ित लड़की के अनुसार घटना दो तारीख के रात 12 से 2 बजे की बीच की है ,घटना के बाद पीड़िता को सदर अस्पताल भी लाया गया था ,जहां डॉक्टर के अनुसार 3 जुलाई की सुबह 5.55 के आस पास उसे भर्ती लिया गया था ।लेकिन हमारी पड़ताल में एक मामला अस्पताल से भी निकल कर सामने आया कि लड़की की भर्ती रिपोर्ट का BST पेपर अस्पताल से गायब है ,एवं अस्पताल रजिस्टर में लड़की की भर्ती टाइम 2 जुलाई को ही 9 बजे दिखा दिया गया है ।मामला संगीन देखते हुए हमने अधिकारियों के साथ कस्तूरबा विद्यालय की ओर रुख किया जहां पाया कि ,हर एक आने जाने वाले कि कस्तूरबा की रजिस्टर में इंट्री होती है ,यहाँ तक कि उस दिन भी जांच टीम की सभी गाड़ियों एवं अधिकारियों की भी इंट्री की गई ,जिसमे मीडिया से जुड़े लोग की भी इंट्री हुई लेकिन उस 2 जुलाई को रात में आये उस शख्श की साथ ही 3 जुलाई को सुबह पीड़िता को अस्पताल लाने वाले ऑटो चालक ,ऑटो नम्बर एवं वार्डन के साथ निकली पीड़िता का कोई इंट्री रजिस्टर में दर्ज नही है ।
जिला प्रशासन खबर को अफवाह करार दे रही है और इसी बीच पीड़िता को पुलिस कप्तान द्वारा बुलाहट जाता है ,वो आती भी है,अपनी आप बीती भी सुनाती है,लेकिन पुलिस कप्तान ने पीड़िता को यह कहते हुए मामले से इनकार करते हैं कि तुम्हारे चलते पूरा प्रशासन परेशान है ।ये बातें पीड़ित लड़की ने एसपी से मिलने के बाद मीडिया के सामने रखी ।वो कहती है कि उसे बोलने भी नही दिया गया ।वो मीडिया के माध्यम से जिला प्रशासन से न्याय की गुहार भी लगा रही है ,वहीं उसकी माँ कहती है कि हम प्योर नक्सल प्रभवित क्षेत्र से आते हैं रात रात भर सो नही पा रहे हैं और प्रशासन मामले को झूठ बता रही है ।वहीं पीड़ित लड़की पुनः कहती है कि मेरे साथ घटना हुई है जो सत्य है ,और मेरे सुरक्षा के साथ साथ कस्तूरबा की भी सुरक्षा की बात है ,अगर ऐसी घटना को दबा दिया जाएगा तो कोई बड़ी घटना के हो जाने के बाद क्या होगा ?पीड़िता कहती है कि अगर मामले की उच्चस्तरीय जांच नही हुई और मुझे सुरक्षा नही मिला तो हम मुख्यमंत्री के पास मीडिया के माध्यम से बात रखेंगे ।उससे भी नही होगा तो खुद मिलेंगे जाकर सीएम से ।मामले की पड़ताल के दौरान हमने दो अन्य गोड्डा कस्तूरबा की बच्ची से पूछताछ की जिसने बताया कि घटना के बारे में वो भी सुनी है और वही सुनी है जो घटना के बारे में पीड़िता कह रही है ।पड़ताल में एक और बात सामने आया है कि नई बिल्डिंग में रह रही गोड्डा कस्तूरबा की बच्ची को रात में गार्ड के बाथरूम का इस्तेमाल करना पड़ता है ।
तमाम सवालों को जब हमने उपायुक्त के प्रेस कॉन्फ्रेंस में रखा तो जबाव आया की कस्तूरबा में आंशिक घटना हुई है, #मिस_मैनेजमेंट_भी_हुई_है ।हमने जांच के दौरान पाई है की लड़की का बयान कहानी लग रहा है ।जो लोकल राजनीतिक के कारण हवा बन रहा है ।
साहब कहानी एवं फ़िल्म भी तो किसी घटना से ही प्रेरित रहती है तो ऐसे में पीड़िता की आप बीती कहानी क्यों नही ?
मसलन कई सवाल निकलकर सामने आ रही है ,मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है ,चंद शिक्षिकाओं को हटा देने से सवाल नही खत्म होंगे !
सवाल अब भी जारी है …
1.किसने दी थी कस्तूरबा में नकाबपोश पहनकर दस्तक ?
2.किसने बदला अस्पताल में भर्ती रजिस्टर में टाइम ?
3.कस्तूरबा की रजिस्टर में उस दिन आने जाने वाले कि इंट्री क्यों नही ?
4.कौन लेगा पीड़िता की सुरक्षा की गारंटी ?
5.आखिर कहाँ जाएगी न्याय के लिए भारत की बेटी ?
अब ऐसे में इन सवालों के जवाब तो हम लेंगे ही ,लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इसे पढ़कर आप आम जनता ही बताएं कि……
“मिस मैनेजमेंट है ये या मैनेज्ड हुआ है मिस”
राघव मिश्रा