पहले भी चर्चा में रहा है गोड्डा जिले का कस्तूरबा विद्यालय।
कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय घाट बंका में महिला नक्सली होने के प्रकरण की जांच दो पहलू को ध्यान में रख कर कर रही है। विभागीय जानकारों की मानें तो पीड़ित छात्रा के बयान पर विगत दो जुलाई से स्कूल में प्रवेश करने वाले और स्कूल से बाहर निकलने वाले सभी लोगों की सूची मंगायी गयी है। इसके अलावे एक और पहलू है, जिस पर जांच टीम काफी बारीकी से जांच कर रही है। जिसे अभी फिलहाल गुप्त रखा जा रहा हैं। सूत्रों की मानें तो महिला नक्सली होने वाली खबर झूठी भी साबित हो सकती है। क्योंकि हॉस्टल में रह रही अन्य छात्राओं ने उक्त छात्रा पर ही झूठ बोलने का आरोप लगाया है।
सच्चाई का पता तो जांच के बाद ही चलेगा, लेकिन एक बात साफ है कि पूरे प्रकरण में कस्तूरबा स्कूल प्रबंधन की लचर व्यवस्था का खुलासा हो रहा है। दस दिन पूर्व भी घाट बंका स्थित कस्तूरबा विद्यालय की एक छात्रा स्कूल की चहारदीवारी फांद कर फरार हो गयी थी। इस मामले को भी पहले जमींदोज करने का प्रयास किया गया। जरूरत है कस्तूरबा स्कूलों की औचक जांच की। चर्चा है कि रात में स्कूल में न तो वार्डन रहती हैं और न शिक्षिका। इन बातों की जानकारी विभाग को भी रहती है। लेकिन विभाग की ओर से भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
पथरगामा कस्तूरबा भी आया था चर्चा में :
वर्ष 2016 के अप्रैल माह में जिले का कस्तूरबा विद्यालय पथरगामा चर्चा में आया था। इस मामले ने कस्तूरबा प्रबंधन के साथ-साथ पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा कर दिया था। इस मामले में विद्यालय में ही एक छात्रा का गर्भपात हुआ था। जिसके बाद मामले को छिपाने का प्रयास किया गया। बच्ची का इलाज कराने के बजाय उसके परिजन को बुला कर उसे घर भेज दिया गया। इस छोटी सी चूक ने विभाग के एक पदाधिकारी को भी लपेट में ले लिया था।
गोड्डा कस्तूरबा प्रकरण में भी इसी तरह की बात हो रही है। लड़की के साथ बीती घटना को वार्डन ने छिपाने का प्रयास किया और बच्ची को घर भेज दिया। जिसके बाद मामले ने करवट ले ली। हालांकि पथरगामा कस्तूरबा प्रकरण के करीब दो माह बाद एक मोड़ आया था। जिसमें छात्रा ने अपने प्रेमी से भाग कर शादी रचा ली। जिसके बाद मामला पूरी तरह से साफ हो गया। एक छात्रा के बयान ने कस्तूरबा कर्मियों को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया था। लेकिन लापरवाही की सजा भी मिली। एक वार्डन व एक शिक्षिका को दो माह तक जेल में भी रहना पड़ा था। आवासीय स्कूल की शिक्षिकाओं व वार्डनों द्वारा रात में विद्यालय में न रहना भी ऐसी घटनाओं का जड़ माना जाता है। जबकि राज्य स्तर से पथरगामा कस्तूरबा प्रकरण के बाद कस्तूरबा प्रबंधन के नियम काफी सख्त किए गए हैं। इसमें बायोमिट्रीक सिस्टम से लेकर सीसीटीवी कैमरा लगाया गया। लेकिन कस्तूरबा कर्मी अपने आदत से वाज नहीं आए हैं। जिसके कारण इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति हो रही है।
पूरे प्रकरण पर पड़ताल जारी है,शेष अगले अंश में