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ओडीएफ पंचायत निपनियां में भारी गड़बड़ी ,मुखिया ने लौटाया था सीएम का अवार्ड !

वर्षों पूर्व जिला प्रशासन ने निपनियां को किया ओडीएफ घोषित, वर्तमान तस्वीरें ओडीएफ के विपरित

एक तरफ केन्द्र से लेकर  राज्य सरकार शत प्रतिशत घरों में शौचालय बनवाने को लेकर युद्ध स्तर पर योजनाओं पर काम कर रही है। जिला प्रशासन भी इस मुहिम को सफल बनाने में जुटी हुई है। यहां तक की जिला प्रशासन ने अप्रैल तक पूरे जिलेे को ओडीएफ घोषित कराने  का दावा कर रही है। लेकिन इसके बावजूद कही न कही जिला प्रशासन का यह दावा फेल होता नजर आ रहा है। प्रशासनिक पदाधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि द्वारा  फर्जी रूप से पंचायत से लेकर प्रखंड को ओडीएफ घोषित करने की बात सामने आ रही  है।

जिला प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार सदर प्रखंड के निपनियां व पचरूखी पंचायत को वित्तीय वर्ष 2014-15 में ही  ओडीएफ घोषित कर दिया जा चुका है। इसके अलावे रानीडीह व सरौनी पंचायत ओडीएफ घोषित होने के कगार पर है। अगर हम बात करें निपनियां पंचायत की तो स्थिति यहां की ओडीएफ के ठीक विपरित है। दो वर्ष पूर्व कागज पर शत प्रतिशत घरों में शौचालय बनाए जाने की रिपोर्ट पूरी तरह से फर्जी प्रतीत हो रही है। आज भी इस पंचायत के लोग खुले में शौच जाते है। यहां के ग्रामीण भी ओडीएफ को सिर्फ एक तमगा मानते है। अधिकांश शौचालय टूट चुके है। कई शौचालय को लोग स्टोर रूम के तरह उपयोग करते है।

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टूटा पड़ा शौचालय

आधे से अधिक शौचालय के पैसे की हुई बंदरबांट :

आंकड़ों के अनुसार निपनियां पंचायत में 1608 शौचालय का निर्माण होना था। लेकिन इसमें मात्र 1000 शौचालय का ही निर्माण हो पाया। ग्रामीणों की माने तो शौचालय बनवाने में कमीशन खोरी पूरी तरह से हावी रही थी। जिस समय शौचालय बनवाने का कार्य पूरा होना था उसी समय त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का बिगुल बज गया। जिसके बाद 608 शौचालय आज तक नहीं बना। आज भी इन ये घन शौचालय विहीन है। निवर्तमान मुखिया रहे मो. असरूद्दीन की चुनाव में हो हो गयी। लेकिन विभाग ने  भी कागज पर ही पंचायत ओडीएफ की हरी झंडी थमा दिया। निर्वाचित हुए मुखिया संजय महतो ने इस मामले को जमकर उठाया। लेकिन मामला सिफर निकला।

निपनियां पंचायत के मुखिया ने लौटाया था सीएम का अवार्ड

यहां तक की मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा एक कार्यक्रम के दौरान पंचायत के मुखिया को ओडीएफ घोषित होने पर अवार्ड भी देने की घोषणा की गयी थी। लेकिन मुखिया से स्टेज पर ही अवार्ड लेने से साफ इंकार कर दिया। मुखिया ने सीएम को साफ शब्दों में कहा कि पूरी तरह से फर्जी आंकड़ों के साथ पदाधिकारियों ने पंचायत को ओडीएफ घोषित किया है। इसकी जांच हो और जरूरतमंदों को इस योजना का लाभ मिलें।  इस हाई वोल्टेज ड्रामा के बाद दोबारा विभाग ने एक करोड़ साठ लाख रूपये शौचालय बनवाने के लिए आवंटित किए। लेकिन इस बार भी बिचौलिया प्रथा पूरी तरह से हावी रहा। आज भी ऐसे दर्जनों की संख्या में बीपीएल परिवार है जिन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिला है।
क्या कहते है उपायुक्त 

डीएमएफटी के माध्यम से 135 करोड़ रूपये है। इसमें स्वच्छता में 50 से 60 करोड़ रूपये खर्च किया जाना है। माननीय सदस्यगण व पंचायत के मुखिया में भी इसमें सदस्य है। अगर वे लोग इसकी जानकारी देंगे तो उस गांव के विकास के लिए राशि खर्च किया जाएगा। 

-भुवनेश प्रताप सिंह, उपायुक्त, गोड्डा

About Raghav Mishra

Raghav Mishra is a freelance journalist, has established himself as a young journalist in the field of journalism, Born in 1988 Raghav Mishra is a resident of Latouna village in Godda district of Jharkhand state, he started maihugodda digital media in 2012. Since its inception, since then, maihugodda has been continuously touching new heights everyday. Raghav Mishra's early studies were written in Godda district. He liked to engage with technology since childhood and kept exploring new things everyday. As of today, Raghav Mishra is also working as a technical expert on several big digital news channels. He loves to catch up on his technology and do creative work daily. Raghav Mishra is the founder of "maihugodda" digital news channel.

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