विगत वर्ष राज्य के दूसरे स्थान पर रहा था अस्पताल
स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने वाले स्वास्थ्य संस्थानों का प्रत्येक वर्ष कायाकल्प अवार्ड का आयोजन होता है। इसके तहत बेहतर प्रदर्शन करने वाले संस्थान को पुरस्कार के तहत कायाकल्प कराने की राशि मुहैया करायी जाती है। इस वर्ष भी इसका आयोजन चल रहा है। राज्य के विभिन्न जिलों के शामिल होने वाले स्वास्थ्य संस्थान इस प्रतियोगिता में हिस्सा भी लिया है। विगत वर्ष गोड्डा सदर अस्पताल इस रेस में पूरे राज्य में दूसरे स्थान पर रहा था। जिसके तहत तत्कालीन अस्पताल उपाधीक्षक डॉ तरूण कुमार मिश्रा को पुरस्कृत भी किया गया था। साथ ही कायाकल्प की पुरस्कृत राशि भी दी गयी थी। लेकिन वर्ष 2018 में कायाकल्प प्रतियोगिता में गोड्डा सदर अस्पताल रेस में ही नहीं है। प्रबंधन ने इस वर्ष रजिस्ट्रेशन ही नहीं कराया है। मतलब साफ है कि विगत वर्ष के अपेक्षा अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं में गिरावट हुई है।
मॉनिटरिंग टीम के दौरे से होता था व्यवस्था में सुधार :
इस प्रतियोगिता में शामिल होने के बाद स्टेट व नेश्नल टीम का कई मरतबा दौरा होता था। जिसके तहत अस्पताल में बेहतर सुविधाओं पर जोर दिया जाता है। इसके साथ ही स्वच्छता पर भी फोकस किया जाता था। जिससे अस्पताल की व्यवस्थाओं में काफी हद तक सुधार होता था। इसका पूरा फायदा अस्पताल में इलाज कराने आए रोगियों को मिलता था। लेकिन कायाकल्प में शामिल होने के कारण आज स्थिति बदतर हो गयी है। वर्तमान में सदर अस्पताल की स्थिति काफी चिंताजनक है। प्रबंधन के उदासीनता के कारण साफ सफाई का भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है। या फिर इसे मैन पावर की कमी भी कह सकते है। सौ बेड वाले सदर अस्पताल में मैन पावर की स्थिति आज भी पुराने ढर्रे पर है। अस्पताल में संसाधन में तो काफी बढ़ोतरी हुई लेकिन मानवबल की संख्या जस की तस ही रह गयी। जिसके कारण संसाधन होने के बावजूद आम जनों को इसका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।
क्या कहते है पदाधिकारी
जब कायाकल्प प्रतियोगिता के लिए रजिस्ट्रेशन हो रहा था तब मैं सिविल सर्जन नहीं थी। अस्पताल में रोजाना अधिक मरीज बढ़ने के कारण भी थोड़ी व्यवस्था में गिरावट हुई है। अगले वर्ष सदर अस्पताल को अवार्ड दिलाने के लिए मेहनत की जाएगी।
-डॉ बनदेवी झा, सिविल सर्जन, गोड्डा