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व्यवस्था की मार, खुद पर एतबार ,तूफानों में भी जलता रहा शिक्षा का मसाल !

सरकार नहीं ==== सरकारी योजनाओं ====का है सहारा !!!

मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है। पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। यह पंक्तियां सुनने में जितनी अच्छी लगती है ,उतनी ही मुश्किल होता है इनको आत्मसात करना और जो ऐसा करते हैं वह एक मिसाल बन जाते हैं ;समाज के लिए ,परिवार के लिए। ऐसा ही एक मिसाल है गोड्डा प्रखंड के बुढ़ी कुरा गांव का रहने वाला चेत नारायण राय । जब उनको सपने देखने की उम्र थी तो उस समय वह अभावों की झंझावात में, वक्त की तूफान में इस कदर फंस गया कि जिंदगी की मझधार में पूरा जहाज ही डूब गया। लेकिन इसने हिम्मत नहीं हारी और उस डूबे जहाज की मस्तूल को पकड़ कर किनारे पर लगाने का प्रयास करता रहा। चेत नारायण राय जब महज 4 साल का था तो उस समय उसके पिता बद्री राय की मौत हो गई ।

महज 10 वर्ष की उम्र में कंधों पर पड़ गया घर का बोझ 

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अभी मां का पूरा प्यार मिला भी नहीं था कि 2008 में जब वह 10 वर्ष का था तो उसकी मां गुजर गई। और छोड़ गई दो छोटी बहनों की परवरिश की जिम्मेदारी । माता पिता के मरते ही चाचा चाची और सगे संबंधियों ने भी इनका साथ छोड़ दिया। मां के श्राद्ध में जमीन भी गिरवी रखा गया। जिस उम्र में थाली में एक रोटी या थोड़ी सब्जी कम हो जाती है तो हम थाली उठाकर फेंक देते हैं या फिर दिन भर खाना नहीं खाते हैं ।रूठ कर बैठ जाते हैं। उस उम्र में चेतनारायण ने अपनी अपनी रोटी और सब्जी की चिंता छोड़ दो छोटी बहनों की परवरिश करने की ठानी और मेहनत मजदूरी करके दो बहनों की परवरिश करने लगे ।दो छोटी बहनों में से बड़ी बहन की शादी 2014 में कर दिया। इस दरमियान मां के श्राद्ध और बहन की शादी में दो बीघा जमीन था वह भी गिरवी पड़ गया । ऐसे में छोटी बहन को अनाथालय में देकर चेतनारायण ने दिल्ली और कोलकाता जैसे शहरों में काम करना शुरू किया । बाहर रहकर धीरे-धीरे वह ईटा जोड़ना सीख गया। आज उसकी उम्र इसकी इजाजत तो नहीं देती बावजूद मजबूरी में मजदूरी एक मात्र सहारा है। मां की मरते ही टूटा फूटा घर भी समाप्त हो गया और वह आज वह दूसरे के यहां रहकर किसी तरह गुजर बसर कर रहा है।

शिक्षा का दीप जलता रहा :-

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अभाव भरे तूफानों में भी चेतनारायण ने जो पढ़ने का सपना देखा था उसका दिया उसके दिल में सदैव जलता रहा । वह निरंतर पढ़ाई करता रहा। काम के बाद जो भी समय मिलता है वह पढ़ाई में लगाता है। आज वह बारहवीं कक्षा में है । बड़ा जतन से पढ़ रहा है ।उसकी बहन अनाथालय के माध्यम से कस्तूरबा विद्यालय में 9वीं कक्षा में पढ़ रही है । आज वह संतुष्ट है कि संघर्ष और मेहनत से वह अपने सपनों को धीरे-धीरे साकार कर रहा है। उसकी स्थिति को देखते हुए पोड़ैयाहाट के सूरज मंडल इंटर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रेम नंदन कुमार ने उनकी सारी फीस माफ कर निशुल्क पढ़ाई की व्यवस्था की बात कही है। उसका सपना है कि वह पढ़ लिखकर कुछ करें लेकिन अभाव चारों ओर से उसका रास्ता रोककर खड़ा है। ना छात्रवृत्ति मिलती है ना ही कोई सुविधा । ऐसे में चेतनारायण कभी उसके घर कभी उसके घर रह कर पढ़ाई कर अपनी सपना कहां तक साकार कर पाएगा यह तो वक्त ही बताएगा।

सरकार से नहीं सरकारी योजनाओं का है सहारा:-

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चेतनारायण के पास आज ना रहने का कोई मकान है और न खाद्यान्न के लिए कार्ड है। ना ही छात्रवृत्ति के लिए जाति प्रमाण पत्र है। चेतनारायण की जब मां मरी थी उस समय इंदिरा आवास स्वीकृत हुआ था । लेकिन वह आधे अधूरे रह गया था। उसके बाद से आज तक इसे रहने का मकान नहीं है । कभी इसके तो कभी उसके घर में रहता है । इसी तरह रह कर वह पढ़ाई भी करता है ।न तो बीपीएल कार्ड है, ना ही खाद्यान्न का कार्ड है। सरकार की ओर से उसे कोई भी सुविधा नहीं मिलती है। जीवन यापन के लिए वह सरकार की जो योजनाएं चलती हैं ,प्रधानमंत्री आवास या फिर शौचालय उन्ही में वह मजदूरी व राजमिस्त्री का काम करके अपना गुजर बसर कर रहा है। भले ही सरकार लाख दावे करें लेकिन चेतनारायण को देखने के बाद सरकार के सारे दावों की पोल खुल जाती है। झारखंड बनने के बाद कई सर्वे हुए ,आर्थिक आधार पर जनगणना लेकिन इसमें इस अनाथ के लिए कहीं जगह नहीं था। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आवास योजना के बारे में लंबी लंबी बातें करते हैं लेकिन चेतनारायण के नसीब में वह भी नहीं है। व्यवस्था की मार किसे कहते हैं यह चेतनारायण की माली हालत को देख कर ही पता चलता है और ऐसी उम्र में ऐसी परिस्थिति में जहां अक्सर लड़के बहक जाते हैं या फिर समय और वक्त को कोसते हुए अपनी मजबूरी का रोना रोते हैं उनके लिए चेतनारायण खुद पर एतबार कर एक प्रेरणास्रोत है।

संपादक परमानंद मिश्र (बरुन)की स्पेशल स्टोरी 

About Raghav Mishra

Raghav Mishra is a freelance journalist, has established himself as a young journalist in the field of journalism, Born in 1988 Raghav Mishra is a resident of Latouna village in Godda district of Jharkhand state, he started maihugodda digital media in 2012. Since its inception, since then, maihugodda has been continuously touching new heights everyday. Raghav Mishra's early studies were written in Godda district. He liked to engage with technology since childhood and kept exploring new things everyday. As of today, Raghav Mishra is also working as a technical expert on several big digital news channels. He loves to catch up on his technology and do creative work daily. Raghav Mishra is the founder of "maihugodda" digital news channel.

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