-सदर अस्पताल में विशेषज्ञ से लेकर अन्य चिकित्सकों का टोटा
एक ओर सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं में बेहतर की बात कर रही है। सरकारी सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए निजी कंपनियों के हाथ में काम को सौंप रही है। लेकिन दूसरी ओर इसे विभाग की विडंबना ही कहा जा सकता है कि एक तो संविदा के आधार पर चिकित्सक रखे जाते है लेकिन इसके बावजूद चिकित्सक का कार्यकाल मात्र आठ माह 13 दिन ही रहता है।
क्या है मामला :
सदर अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सक के नाम से विगत वर्ष फंड आया था। तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ प्रवीण कुमार राम ने डॉ धर्मेंद्र कुमार को प्रतिदिन दो हजार रूपये पर सदर अस्पताल में रखा था। डॉ धर्मेन्द्र कुमार ने विगत 17 अप्रैल 2017 को सदर अस्पताल में नियुक्त किए गए। लेकिन 31 दिसंबर आते आते ही फंड खत्म हो गए। जिसके बाद उनकी सेवा स्वत: समाप्त हो गयी। उनके चले जाने से सदर अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों का टोटा हो गया। बता दे कि करीब दो वर्ष से विशेषज्ञ चिकित्सक का पद सदर अस्पताल में रिक्त था। यहां पर किसी की नियुक्ति भी विभाग की ओर से नहीं की गयी थी। अंतत: विभाग संविदा के आधार विशेषज्ञ चिकित्सक को रखा। लेकिन सरकार की अनदेखी के कारण वर्तमान में सदर अस्पताल में आने वाले रोगियों की परेशानी बढ़ गयी है।
अस्पताल में हो रहा समान्य इलाज :
अगर हम बात करे अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं की तो समान्य इलाज ही मात्र अस्पताल में हो पा रहा है। इसका मुख्य कारण है कि अधिकतर विभाग के चिकित्सक अस्पताल में नहीं है। कुल पन्द्रह चिकित्सकों में 9 चिकित्सकों का पदस्थापन मूल रूप से सदर अस्पताल में है वही छह अन्य जगहों से प्रतिनियुक्त किए गए है। इसमें कई चिकित्सक विभाग के पदाधिकारी होने के साथ साथ ओपीडी, इमरजेंसी की ड्यूटी कर रहे है। कुल मिला कर कहा जाए तो समान्य इलाज ही सदर अस्पताल में हो पा रहा है। इसमें आंख, कान, नाक, गला आदि कई ऐसे विभाग के चिकित्सक 100 बेड वाले अस्पताल में नहीं है।
क्या कहते है विधायक :
स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ करना सरकार के महत्पूर्ण कार्यों में एक है। अगर सदर अस्पताल में एक मात्र विशेषज्ञ चिकित्सक थे तो उनका टेंडर दोबारा कराने के लिए विभाग के पदाधिकारी से बात की जाएगी। जल्द यहां पर चिकित्सकों की नियुक्ति की बात मुख्यमंत्री से भी की जाएगी।
-अमित कुमार, विधायक, गोड्डा
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क्या कहते है पदाधिकारी :
विशेषज्ञ चिकित्सक के फंड में मात्र पाच लाख रूपया ही था। नियुक्ति के समय ही साफ कर दिया था कि फंड खत्म होेते ही उक्त चिकित्सक की सेवा स्वत: समाप्त हो जाएगी। फंड दोबारा आने पर चिकित्सक को रखा जाएगा।
-डॉ बनदेवी झा, प्रभारी सिविल सर्जन, गोड्डा
मैं हूँ गोड्डा.com से अभिषेक राज की खास रिपोर्ट