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बात बेबात :जब एक मोदी समर्थक से हो गई मेरी मुलाकात ।

राघव मिश्रा/बात-बेबात एक मोदी समर्थक के साथ ।एक मोदी समर्थक से मोदी सरकार के पिछले साढ़े चार साल के कामकाज को लेकर बातचीत जो कभी हुई ही नहीं ।
रफाल विमान सौदे पर आपको क्या कहना है?

समर्थक :अभी तक तो मोदी जी ने ही रफाल सौदे पर खुलकर कुछ नहीं कहा, फिर भला मैं क्या कहूंगा!

भाजपा कांग्रेस को बोफोर्स घोटाले पर अब तक घेरती रही है, लेकिन अब वह खुद रफाल को लेकर घोटाले में फंसती नजर आ रही है. इस पर क्या कहेंगे?

समर्थक :ये मोदी जी की एनडीए सरकार का मीटू अभियान को समर्थन देने का अंतरराष्ट्रीय तरीका है!

वह कैसे?

समर्थक : मोदी जी राहुल गांधी और कांग्रेस से ‘मीटू’ कह रहे हैं!

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क्या रफाल सौदा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की जगह रिलायंस डिफेंस जैसी अनुभवहीन कंपनी को मिलना गलत नहीं है?

समर्थक : नहीं, बिल्कुल नहीं! ये तो मोदी जी का ‘स्किल इंडिया’ को प्रमोट करने का तरीका है.

वह भला कैसे?

समर्थक: देखिए क्या है कि ज्यादा अनुभव वाले पेशेवर लोगों को तो बड़ी-बड़ी कंपनियां काम पर रख ही लेती हैं, पर अनुभवहीन लोगों और कंपनियों को कोई नहीं पूछता. एचएएल जैसी कंपनियों के पास तो पहले ही बहुत काम है!

दूसरी तरफ मोदी जी सिर्फ बेरोजगार लोगों को ही नहीं, बल्कि बेरोजगार कंपनियों को भी रोजगार दिलवा रहे हैं! मोदी जी की इस बात के लिए तारीफ होनी चाहिए कि उन्होंने इतना बड़ा काम किसी नई कंपनी को सिर्फ आपसी जान-पहचान मेरा मतलब उसकी अनुभवहीनता पर भरोसा करके दे दिया. इस तरह वे स्किल इंडिया को बहुत बड़े स्तर पर प्रमोट कर रहे हैं !

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डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत के अभी तक के सबसे ज्यादा निचले स्तर पर पहुंचने के बारे में आप क्या कहेंगे?

समर्थक: भारतीय रुपया डालर के मुकाबले अभी 74 तक ही पहुंचा है जबकि पाकिस्तान का रुपया 139 पर पहुंच गया! हमारा रुपया गिरने में अभी भी पाकिस्तान से 65 रुपए पीछे है. मोदी जी बताना चाहते हैं कि हिंदुस्तान का रुपया इतना गया-गुजरा नहीं है कि गिरने में पाकिस्तानी रुपए को पछाड़ न सके. हम इस मामले में भी पाकिस्तान को टक्कर दे सकते हैं पर आप लोग जरा भी सब्र न दिखाकर बेवजह इतना हल्ला मचा रहे हैं. दरअसल हम पाकिस्तान से पिछड़ रहे हैं और हमें इस मामले पर शर्म आनी चाहिए.

मोदी सरकार के समय में डीजल-पेट्रोल इतना ज्यादा महंगा हो गया है. इस बारे में आपका क्या कहना है?

समर्थक: यह मोदी सरकार की ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना का हिस्सा है

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अरे ऐसा भला कैसे?

समर्थक: डीजल-पेट्रोल की इतनी कीमतों के चलते दहेज में कार मांगना अब बहुत कम हो गया है. इससे दहेज में कार के पैसे तो बचने शुरू हो ही गए, अब पिताओं को लग रहा है कि उन बचने वाले पैसों से बेटियों को पढ़ा ही लें

क्योंकि बैंक में ज्यादा पैसे रखने भी सेफ नहीं, क्या पता कब कोई बैंक से हजारों करोड़ रुपये का लोन लेकर उसका भट्टा बिठा दे. आप ही बताइए, क्या आज तक ऐसा कभी हुआ है कि बाप दहेज के पैसों को बेटी की पढ़ाई में लगाने की सोचें? इसका पूरा श्रेय सिर्फ डीजल-पेट्रोल की बढ़ी हुई कीमतों यानी मोदी जी को जाता है।

नोटबंदी के बारे में आपके क्या विचार हैं?

समर्थक: नोटबंदी अच्छी चीज थी, पर नसबंदी बुरी चीज है! खासतौर से हिंदुओं को तो नसबंदी करानी ही नहीं चाहिए. नोटबंदी को लेकर उन्हीं लोगों ने स्यापा किया है, जिनके घरों में एटीएम की लाइन में खड़े करने को लोग नहीं थे।

और ये वही लोग हैं जो नसबंदी करवा के देश का भला करने के चक्कर में मारे गए. जिनके पास एटीएम की लाइन में लगाने को दर्जनभर लोग हर वक्त घर में बैठे हों, उन्हें भला नोटबंदी से क्या शिकायत हो सकती है.

नोटबंदी’ का ‘नसबंदी से क्या लेना-देना? दोनों बिलकुल ही अलग चीजें हैं.

समर्थक: इतनी भी अलग नहीं, एक-एक ‘बंदी’ तो दोनों ने फंसा ही रखी है! (आंख मारकर बेशर्मी से हंसते हुए) अब्ब्ब… मेरा मतलब ये है कि अलग तो नीरव मोदी, ललित मोदी और नरेन्द्र मोदी भी हैं पर आप लोग भी तो तीनों मोदियों को एक वक्त पर ही याद करते हो अक्सर. कोसना चाहे ललित मोदी को हो या फिर नीरव मोदी को, नरेंद्र मोदी को आप लोग हर बार, हर जगह घसीटते ही हो. अगर यही काम मैंने कर दिया तो ऐसा क्या गलत कर दिया! यूटू…मीटू!

आपके हिसाब से मोदी दी ने पांच साल पहले जो वादे किए थे, उनमें से कितने पूरे किए हैं?

समर्थक: पहले आप मुझे बताओ कि इस दुनिया में ऐसा कौन-सा इंसान है जिसने वादे पूरे करने के लिए किए हों? वादे तो किए ही तोड़ने के लिए जाते हैं! मोदी जी ने इसमें क्या ऐसा कर दिया जो इस देश और दुनिया में पहले किसी ने नहीं किया. आप लोग असल में ‘गोदी मीडिया’ हो, जिसे मोदी जी के हर काम को बस गोदना है… उनके किए सारे कामों को आप लोग दागते रहते हो, काले-काले निशानों से. वैसे भी वादे तो आशिक लोग पूरा करते हैं, मोदी जी सिर्फ देशभक्त हैं! वे इस देश में वादे पूरे करने नहीं आए हैं, उन्हें और कई बड़े-बड़े काम करने हैं.

और कौन-से बड़े काम? जैसे?

उन्हें सारी दुनिया में गोबर से लिपाई करनी है!…गौमूत्र से कैंसर ठीक करने जैसी खोजों को चिकित्सा का नोबल पुरस्कार मिले, इसके लिए लॉबिंग करनी है…कोई एक काम थोड़े ही है उनकी जान को.

आने वाले लोक सभा चुनाव में मोदी सरकार को बहुमत मिलने की कितनी संभावना लगती है आपको?

समर्थक: उतनी ही जितनी राम मंदिर बनने की!

राम मंदिर बनने की कितनी उम्मीद है आपको ?

समर्थक: उतनी ही, जितनी मीटू अभियान में सामने आए यौन उत्पीड़कों को सजा मिलने की है!

आप हर बात का घुमा-फिराकर जवाब क्यों दे रहे हैं?

समर्थक: हम मोदी जी से इतना भी नहीं सीखेंगे तो फिर काहे के मोदी भक्त!

अच्छा यह बताइए कि मोदी समर्थकों को ‘मोदी भक्त’ क्यों कहा जाता है?

समर्थक: वह इसलिए क्योंकि समर्थक इंसानों के होते हैं, अवतारों के नहीं! मोदी जी को मजबूत करने के लिए समर्थकों की नहीं भक्तों की जरूरत है. पहले के जमाने भक्ति में शक्ति होती थी, लेकिन आजकल भक्तों में शक्ति है! (हंसते हुए)

अच्छा यह बताइए, आपके लिए ‘मोदी भक्ति’ बड़ी चीज है या ‘देशभक्ति’?

समर्थक: दोनों एक ही चीज हैं! जो मोदी भक्त नहीं वो देशद्रोही है!

भला ऐसा आप कैसे कह सकते हैं?

समर्थक: मोदी जी और उनके भक्त कुछ भी कह सकते हैं! (कुटिलता से मुस्कुराते हुए) जब आप लोग कुछ भी लिख सकते हैं, तो हम कुछ भी क्यों नहीं बक सकते भला !

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