ये बात अलग है कि इंसान ने अपनी बुद्धि और बल के दम पर यहां अपनी बादशाहत कायम कर रखी है लेकिन सही मायने में तो इस धरती पर अन्य सभी प्राणियों के जीवन का भी उतना ही महत्व है जितना इंसान के जीवन का। यदि प्रकृति कभी हमसे नाराज हो कर अपना प्रकोप दिखाती है तो हम खुद को फिर से उतना ही असहाय महसूस करने लगते हैं जितना कभी इंसान ने अपनी उत्पत्ति के बाद खुद को किया होगा। ऐसे में हर इंसान सिर्फ अपनी या अपनों की जान बचने की सोचता है। जानवरों के बारे में भला कौन सोचेगा। इंसान तो पहले से ही बड़ा क्रूर है और उसकी इस क्रूरता का तो आए दिन सोशल मीडिया पर उदाहरण मिल जाता है ऐसे में जब उसकी अपनी जान आफत में पड़ी हो तो वो भला जानवरों की फिक्र क्यों करेगा ।
लेकिन कुछ लोग इस धरती पर मौजूद हैं जो समय समय पर कुछ ऐसा उदहारण पेश कर जाते हैं जिससे ये विश्वास हो जाता है कि सभी इंसान एक जैसी सोच नहीं रखते। ऐसा ही उदहारण केरल में आई भीषण बाढ़ के समय देखने को मिला। हम सभी जानते हैं कि केरल में आई बाढ़ ने वहां के जनजीवन को किस तरह अस्त व्यस्त कर दिया है। अभी तक इस बाढ़ में लगभग 400 लोगों की जान जा चुकी है। कई इलाकों में तो लोग बुरी तरह फंसे हुए हैं।
एनडीआरएफ, सेना और कई एनजीओ पूरे राज्य में मची तबाही के बीच राहत बचाव का काम कर रहे हैं। इस आपदा से सिर्फ मनुष्य ही नहीं, बल्कि जानवरों को भी काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में यही सोच आम हो जाती है कि इस माहौल में जहां सबको अपनी जान के लाले पड़े हैं भला इन जानवरों के बारे में कौन सोचे। लेकिन इस सोच को एक दम झूठा साबित किया केरल के त्रिशूर में रहने वाली एक महिला ने। त्रिशूर बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से एक है। ऐसे में सेना के साथ एनडीआरएफ की टीमें राहत कार्य में जुटी हैं। ऐसी ही एक टीम जब सुनीता नामक महिला को बचाने उसके घर पहुंची तो वहां अलग ही नजारा देखने को मिला। सुनीता का घर पूरा पानी में डूबा हुआ था और 25 कुत्ते उनके बिस्तर पर चढ़े हुए थे।
जब बचावकर्ता सुनीता और उसके पति को बचाने पहुंचे तो सुनीता ने जाने से साफ मन कर दिया। ऐसी भीषण बढ़ जिसमें अभी तक लगभग 400 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, करीब तीन लाख लोगों के घर तबाह हो गए ऐसे में महिला द्वारा बिना अपने प्राणों के बारे में सोचे ऐसी बात कहना सच में साहसिक कदम था। सुनीता ने बचावकर्ताओं से साफ तौर पर ये कह दिया कि पहले इन 25 कुत्तों को बहार निकला जाए फिर मैं जाउंगी।
केरल में लैंडस्लाइड और बाढ़ से अब तक 357 लोगों की मौत हो चुकी है। करीब तीन लाख लोग बेघर बताए जा रहे हैं। सेना के साथ एनडीआरएफ की टीमें राहत कार्य में जुटी हैं। बाढ़ में फंसी महिला ने अपने कुत्तों के बिना घर से बाहर निकलने मना कर दिया। बचावकर्ता जब उन्हें बचाने पहुंचे तब महिला ने कहा पहले मेरे 25 कुत्तों को यहां से बाहर निकाला जाए।
इस पर बचावकर्मी ने कहा कि वो सिर्फ सुनीता को ही बचा सकते हैं उनके कुत्तों को नहीं। ये सुन कर सुनीता ने उनके साथ जाने से साफ़ इंकार कर दिया। बचावकर्ता दल के लाख कहने के बाद भी जब सुनीता कुत्तों के बिना घर छोड़ने को तैयार नहीं हुई तो उन्होंने किसी तरह ह्यूमन सोसायटी इंटरनेशनल से संपर्क साधा जिसके बाद उन्हें रेस्क्यू कर बाढ़ से बचाया गया।
ह्यूमन सोसायटी इंटरनेशनल की टीम उनके घर पहुंची तो देखा कि घर पूरा पानी में डूबा हुआ था और कुत्ते बिस्तर पर चढ़े हुए थे। रेस्क्यू की टीम ने तुरंत सुनीता, उनके पति और 25 कुत्तों को वहां से बाहर निकाला। सुनीता, उनके पति और कुत्तों को जानवरों के लिए बनाए गए एक रिलीफ कैंप में रखा गया है।
ह्यूमन सोसायटी इंटरनेशनल की सैली वर्मा सुनिता के लिए फंड इकट्ठा कर रही हैं ताकि बाढ़ के बाद उनके घर में कुत्तों के लिए एक शेल्टर बनाया जा सके।
आपको बता दें कि केरल में बाढ़ ने पिछले 93 साल का रिकार्ड तोडा है। 15 दिनों से हो रही भारी बारिश और बाढ़ के चलते हालात बेहद बदतर हो गए हैं। लैंडस्लाइड और बाढ़ से अब तक लगभग 400 लोगों की जान जा चुकी है। करीब तीन लाख लोग बेघर बताए जा रहे हैं। सेना के साथ एनडीआरएफ की टीमें राहत कार्य में जुटी हैं। करीब 2 लाख 23 हजार लोगों को 1500 राहत शिविरों में पहुंचाया गया है।
एक तरफ जहां लोग अपनी जान बचाने के लिए त्राहि त्राहि कर रहे हैं वहीं सुनीता ने अपनी जान खतरे में डाल कर पशुप्रेम का एक नया उदाहरण गढ़ा है। सुनीता के इस जज्बे को हम सलाम करते हैं और साथ ही साथ ये प्रार्थना करते हैं कि केरल में स्थिति जल्द से जल्द सामान्य हों जिससे लोग फिर से सामान्य जीवन जी सकें ।