विधायक ने बिना नाम लिए सत्ता पक्ष पर साधा निशाना
संथाल परगना स्थापना दिवस के अवसर पर गोड्डा जिला के पोड़ैयाहाट प्रखंड मैदान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ विधायक प्रदीप यादव ,पूर्व विधायक प्रशांत कुमार, अंचलाधिकारी विजय कुमार, प्रधान संघ के रामानंद साह आदि के द्वारा सिद्धू कान्हू के तस्वीर पर माल्यार्पण के साथ प्रारंभ किया गया। विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि सिद्धू कान्हू ने जिन उद्देश्यों को लेकर हुल का आगाज किया था। आज भी उनके सपनों का झारखंड, उनके सपनों का संथाल परगना अधूरा पड़ा है। इसको पूरा करने के लिए यहां के नौजवानों किसानों-मजदूरों को एक होकर दूसरे हुल का आगाज करना होगा। तभी हम सिद्धू कान्हू के प्रति आज के दिन सच्ची श्रद्धांजलि दे पाएंगे । उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने में आय का प्रमुख साधन था जमीन का मालगुजारी । इसके लिए उस समय जबरन मालगुजारी वसूली जाती थी । जो रैयत जमीन का मालगुजारी नहीं दे पाता था, उसका जमीन जबरन छीन लिया जाता था और उच्छेद करके संपन्न लोगों को दे दिया जाता था। उस समय जो कलेक्टर जितना ज्यादा राजस्व की वसूली करता था उसको उतना बड़ा प्रन्नोति दे दिया जाता था ।बाद में जमीनदारी प्रथा लागू की गई और मालगुजारी का जिम्मा जमींदारों को दे दिया गया । जिसके कारण कृषक, किसान औरतों पर भारी जुल्म हुआ और उसी का उपज है सिदो-कान्हू आंदोलन ,उसी का उपज है संथाल परगना अलग प्रमंडल, उसी का उपज है काश्तकारी अधिनियम। उन्होंने कहा कि आज भी कमोबेश कृषक एवं किसानों एवं यहां के मूल निवासियों के साथ यही बर्ताव हो रहा है उद्योगों के नाम पर जबरन जमीन लेने के प्रयास किए जा रहे हैं उन्होंने कहा कि उद्योगों से क्षेत्र का विकास नहीं होता अगर उद्योगों से क्षेत्र का विकास होना होता तो 1902 में टाटा स्टील प्लांट जमशेदपुर बना लेकिन आज झारखंड के 11 पिछड़े जिलों में उसी सिंहभूम का नाम आता है।
यहां के पढ़े-लिखे नौजवान मूलवासी होते हुए भी आज नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। जबकि बाहर के लोग आकर यहां नौकरी कर रहे हैं ।आज जमीन की लूट हो रही है। उद्योगों के नाम पर विकास की परिभाषा गढ़ने वाले यह नहीं जानते कि सिर्फ उद्योग से ही विकास नहीं हो सकता है। सबसे ज्यादा रोजगार के अवसर किसी चीज में है तो वह कृषि है। कृषि से संबंधित उद्योग को बढ़ावा देकर हम पूर्ण स्वाबलंबन प्राप्त कर सकते है । आज का दिन संकल्प लेने का दिन है। रैयतों की जमीन बचे, सीएनटी-एसपीटी एक्ट का अनुपालन हो, यहां के बच्चों को नौकरी मिले ।इसकी लड़ाई लड़नी होगी। उन्होंने कहा कि झारखंड अलग होने के बाद जब यहां की सरकार बनी । बाबूलाल मुख्यमंत्री बने और उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि जिसके पास जमाबंदी का कागज है, जो पर्चाधारी है ,वहीं झारखंडी है और उसी को ही नौकरी में प्राथमिकता दी जाएगी।आज उसी की ज़रूरत है ।
जब तक यह नहीं होगा झारखंड आगे नहीं बढ़ सकता है, यहां के मूलवासी आगे नहीं बढ़ सकता है। संथाल परगना एवं झारखंड राज्य का सपना कभी पूरा नहीं हो सकता है ।इसीलिए एक हो हुल की जरूरत है। पूर्व विधायक प्रशांत कुमार ने प्रधानों के हित में यहां के रैयतों एवं मूल निवासियों के हित में किए जा रहे कार्यों का ब्यौरा दिया और सरकार का पक्ष रखा।
इस अवसर पर 10 प्रधानों को टैबलेट बांटा गया। सभा को प्रखंड प्रमुख जोसफ बसेरा, मुखिया सिमोन मरांडी, रामानंद सा अजय शर्मा आदि ने अपना विचार रखा।