अभिजीत तन्मय/गोड्डा/कहने को हम शिक्षित हो रहे है। 21 वीं सदी में प्रवेश कर रहे है। ब्रह्मांड,चाँद और मंगल अब आम बात हो गयी है। सरकार शिक्षा का अलख जगा कर हमारे समाज की बुराई,रूढ़िवादी विचारों को मिटाने के लिए लगातार कोशिश कर रही है।
मोदी सरकार की एक मुहिम “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” चल रही है ताकि समाज मे बेटी-बेटा के अंतर/भेदभाव खत्म हो सके।
समाज मे बेटियों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार के खिलाफ भी कठोर कानून बना कर सरकार अपनी मंशा साफ कर चुकी है लेकिन हमारा समाज है कि बदलने का नाम ही नही ले रहा है।
तीन दिन के अंदर तीन घटनाएं इस बात का प्रमाण है कि हम अभी भी अपनी करनी से पूरे भारत के पटल पर गोड्डा को शर्मसार कर रहे हैं।
आज सुबह की एक घटना जिसमे मुफ़स्सिल थाना क्षेत्र के लेंगड़ाडीह गाँव मे जानवर चरा रही एक नाबालिग के साथ दुराचार का प्रयास किया गया।
हल्ला मचाने पर लड़की के परिजन पहुँचे तब युवक भागा लेकिन परिजनों के द्वारा आरोपी के घर पहुँच कर जब शिकायत किया गया तब वो अपनी गलती पर शर्मिंदा न होकर वो उल्टे लड़ाई करने लगा और जान से मारने की धमकी देने लगा।
इस घटना के बाद गाँव की स्थिति खराब होने लगी। कुछ लोग कानून को हाथ मे लेकर उसे भीड़ तंत्र द्वारा मार देने की फिराक में थे। पुलिस की सक्रियता से जिला पर पुनः लगने वाला एक दाग हट गया लेकिन तनाव बरकरार है।
दूसरी घटना मुफ़स्सिल थाना क्षेत्र के सैदापुर गाँव की है जब एक युवक के द्वारा 7-8 साल की बच्ची के साथ दुराचार करने का प्रयास किया गया। बच्ची के रोने के कारण प्रयास अधूरा रह गया।
बच्ची की शिकायत पर घरवाले उत्तेजित होकर इसकी शिकायत करने थाना पहुँचे लेकिन कुछ समाज के ही लोगों ने समझा बुझा कर इसे पंचायती करके मामले को निपटाने का प्रस्ताव रखा।
आरोपी का पिता भी दे लेकर मामले से बचने का प्रयास कर रहा है। फिलहाल पैसे के बल पर मांडवाली होने की आशंका है लेकिन अगर बात मनमुताबिक नही हुई तो मामला कल सुबह थाना में जरूर आएगा।
दो रात पूर्व महागामा सामुदायिक अस्पताल में भी छेड़खानी का मामला प्रकाश में आया था जिसमे आरोपी की पहचान हो चुकी है और उस पर केस भी हो चुका है।
कहीं न कहीं पूरे प्रकरण में सरकार के कठोरतम कानून की जानकारी होने के बावजूद सबों को लगता है उनका कुछ नही बिगड़ सकता है।
महाभारत में यक्ष ने युधिष्ठिर से सवाल किया था कि #संसार मे आश्चर्य क्या है?
युधिष्ठिर ने जवाब दिया था कि हम प्रतिदिन लोगों को मरते देखते है लेकिन हम अजर-अमर रहेंगे ये ही आश्चर्य है।
उसी तरह हम सभी प्रतिदिन अखबारों एवम न्यूज़ चैनलों में पढ़ते और देखते है कि इस तरह की घटना के बाद पकड़ाए युवक का क्या हाल होता है।
जेल के साथ सजा और सामाजिक बहिष्कार तक हो जाता है लेकिन यहां भी हम सबों को यही लगता है हमारे साथ ऐसा कुछ नही होगा, हम पकड़े ही नही जाएंगे।