राज्य आयोग और जिला अधिकारी का मेल नहीं खा रहा है। इसकी बानगी मंगलवार को देखने को मिली। सोमवार को राज्य बाल सरंक्षण आयोग के सदस्य अनहल लाल जांच करने पहुंचे थे। जहां पर उन्होंने आश्रम के प्रबंधन को खास दिशा निर्देश दिया था।
आयोग के सदस्य के साथ जिला बाल सरंक्षण के भी दो अन्य सदस्य साथ थे। लेकिन मंगलवार को जिला स्तर की एक टीम जांच करने आश्रम पहुंची। जहां पर दोबारा उन्हीं सब चीजों की जांच की गयी। इस टीम में डीआरडीए डायरेक्टर अरूण एक्का, एसडीओ फुलेश्वर मुर्मू के अलावे जिला समाज कल्याण पदाधिकारी रेखा कुमारी, जिला बाल सरंक्षण पदाधिकारी रितेश कुमार, बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष कल्पना झा, विधिक पदाधिकारी राजेश कुमार, डॉ मंटू टेकरीवाल, प्रीतम गाडिया शामिल थे।
इस टीम ने बाल किशोर अधिनियम 2015 के कंडिका 41 के तहत जांच की। बता दे कि इसके पहले विगत 17 दिसंबर को भी एक टीम द्वारा जांच किया गया था। जिसके बाद संचालिका व कल्याण समिति की अध्यक्ष के बीच विवाद हो गया था। जिसके बाद उपायुक्त स्तर से पुनः जांच का निर्देश दिया गया था। विधिक पदाधिकारी राजेश कुमार का कहना है कि यह जांच पूर्व निर्धारित था। यह उपायुक्त के निर्देश पर जांच किया गया है।
आश्रम की संचालिका ने जांच टीम पर उठाया सवाल :
इस दौरान आश्रम की संचालिका वंदना दुबे ने जांच टीम पर सवाल उठाया हैं। उन्होंने कहा कि आयोग के सदस्य ने कहा था कि 24 घंटा के भितर एक ही चीज के लिए दो जांच नहीं हो सकता है। लेकिन इसके बावजूद जांच किया गया। विभाग द्वारा सिर्फ परेशान करने का काम किया जा रहा है। यह आश्रम विगत 15 वर्षों से संचालित हो रहा है। जिस एक्ट में निबंधन की बात कह रहे है। इसमें काफी पहले ही आवेदन दिया जा चुका है।लेकिन तीन साल बीतने के बाद भी निबंधन नहीं मिला है। बताया कि कल्याण समिति की अध्यक्ष द्वारा विगत जांच के दौरान आश्रम की बच्चियों से दुव्यवहार किया गया था। जिसकी शिकायत उपायुक्त से लेकर महिला बाल विकास मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल को की गयी थी। वह बच्ची आज भी बीमार है। उसका इलाज रीनपास रांची के मनोचिकित्सक द्वारा किया जा रहा है।जिसका रिपोर्ट में साफ तौर पर बच्ची के साथ मानसिक प्रताड़ना की बात लिखी गयी है। इसकी सूचना पत्र के माध्यम से वरीय पदाधिकारी को भी दी गयी थी। कल्याण समिति की अध्यक्ष को जांच टीम से बाहर रखने का निवेदन किया गया था।यहां तक कि 26 जनवरी जैसे राष्ट्र त्योहारों पर भी मुझे जांच के लिए पत्र के माध्यम से उपस्थित होने को कहा गया,क्या हम गणतंत्र दिवस पर भी सरकारी बंगलों का चक्कर काटें सिर्फ इसलिए कि हम समाज के लिए काम कर रहे हैं ?जांच टीम से अध्यक्ष को बाहर रखने पर भी वो आई,रिनपास के डॉक्टर ने लिखा है कि उस महिला से बच्ची डरी हुई है बावजूद उनके नेतृत्व में जांच का निर्देश दिया गया। इससे साफ जाहिर होता है कि अधिकारी सिर्फ परेशान करने का काम कर रही है।
बंदना ने कहा है कि हमे जांच के नाम पर जान बूझकर परेशान किया जा रहा है ,मैं शुरू से सच के साथ खड़ी रहने वाली हूँ ,पैसे देकर कोई भी काम नही करा सकती ,जरूरत पड़ी तो राष्ट्र्पति द्वारा दी हुई थाली में ही भीख मांगूगी लेकिन अपने सामाजिक कार्यों से पीछे नही हटूंगी ।